मुख्य सचिव ने की वन विभाग और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की समीक्षा

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संवाददाता.रांची.मुख्य सचिव डॉ डी के तिवारी ने वन एवं पर्यावरण विभाग को राज्य में चल रहे इको टूरिज्म को बढ़ावा देनेवाली योजनाओं पर विशेष फोकस करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रचूर प्राकृतिक धरोहर को ईको टूरिज्म साइट के रूप में विकसित कर राज्य को देश का अग्रणी राज्य बना सकते हैं। वन विभाग को दलमा, चांडिल और डिमना लेक का त्रिकोण बनाते हुए इको टूरिज्म का राष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क बनाने का भी निर्देश दिया।

मुख्य सचिव डा. डी के तिवारी झारखंड मंत्रालय में गुरूवार को वन विभाग और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की कार्य योजना की समीक्षा कर रहे थे।मुख्य सचिव ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि राज्य की राजधानी की सभी सड़कों, सार्वजनिक भवनों के परिसर, स्कूलों, जलाशयों के किनारे और पहाड़ियों को योजनाबद्ध ढंग से पौधारोपण कर ग्रीन राजधानी के रूप में विकसित करे। उन्होंने अगले वर्ष के प्लान में राजधानी में पर्यावरण तथा ग्रीनरी के संवर्द्धन हेतु अलग से प्रावधान करने का भी निर्देश दिया।

मुख्य सचिव ने विभाग को अपनी योजनाओं के तहत् ज्यादातर फलदार पौधे लगाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका पर्यावरण की सेहत के साथ आर्थिक महत्व भी होगा। उन्होंने बजट प्लान में इसका प्रावधान करने को कहा कि विभाग किस तरह के कितने पौधे लगाएगा।

वन विभाग के अनुसार वह अभी कुल पौधरोपण का 20 प्रतिशत फलदार पौधा लगा रहा है। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने बताया कि 2001 से 2017 तक झारखंड का वन क्षेत्र एक हजार वर्ग किलोमीटर बढ़ा है और 2005 से 2017 के बीच वन क्षेत्र में जलाशयों का क्षेत्रफल भी 64 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। वन क्षेत्र के विकास की यह रफ्तार पूरे देश में उच्चतम है। वहीं 92 नियमित नर्सरियों में प्रति वर्ष 92 लाख पौधे उगाए जा रहे हैं।

मुख्य सचिव ने बन संपदा की सेटेलाइट (जीआइसी) मैपिंग कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस मैपिंग से वन क्षेत्र के जलाशय सहित पेड़ों की भी वास्तविक स्थिति का आकलन संभव हो पाएगा। वन क्षेत्र में कहां जलाशय बनाए, इसका भी उचित स्थान चिह्नित किया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग की समीक्षा के दौरान उपभोक्ता जागरूकता पर बल देते हुए विभाग को उस पर फोकस करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि बड़े हाट-बाजार में होर्डिंग लगाकर उपभोक्ताओं को उनके अधिकार की जानकारी दें। उस होर्डिंग में एक फोन नंबर भी दें, ताकि कोई भी उपभोक्ता असंतुष्ट होने पर इसकी ससमय सूचना विभाग तक पहुंचा सके। वहीं सही माप-तौल पर भी ध्यान देने को कहा।

 

 

 

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