अब विज्ञान की बातें भी होंगी मैथिली भाषा में

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संवाददाता.नई दिल्ली. मैथिली भाषियों के लिए अब सहज और सरज भाषा में पुस्तकें प्रकाशित होंगी। उनके लिए पत्रिका, ब्लाग लेखन, टीवी-रेडियो कार्यक्रम का निर्माण होगा। इसके लिए विज्ञान प्रसार ने जो बीडा उठाया है, वह स्वागतयोग्य है। मिथिला ही नहीं, बल्कि देश और विदेश में रहने वाले मैथिलभाषियों के लिए यह ऐतिहासिक दिन है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत स्वायतशासी संस्था विज्ञान प्रसार ने ऐसा निर्णय लिया है। इसके लिए विज्ञान प्रसार के निदेशक डा नकुल पराशर बधाई के पात्र हैं। अखिलेश झा ने प्रस्ताव दिया कि विज्ञान प्रसार की ओर से जो पत्रिका प्रकाशित होंगी, उसका नाम “विज्ञान रत्नाकर” रखा जा सकता है।

शुक्रवार को पृथ्वी भवन में विज्ञान प्रसार के मैथिली कोर कमिटी की पहली बैठक की केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक अखिलेश झा ने अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि मिथिला मेधा और विज्ञान की धरती रही है। यहां का दर्शन विज्ञान आधारित रहा है। इसलिए आज हमारी और तमाम मैथिलभाषियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने आने वाली पीढी को अपनी भाषा में बेहतर सामग्री उपलब्ध कराएं।

बैठक को संबोधित करते हुए विज्ञान प्रसार के निदेशक डा नकुल पराशर ने कहा कि हमने कई भाषाओं में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए काम किया है। हमें बेहद खुशी है कि अब हम मैथिली में यह प्रयास कर रहे हैं। सभी का बेहतर साथ और समन्वय मिला तो विज्ञान की दुनिया की बातें लोग मैथिली में देखेंगे, पढेंगे और सुनेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी योजना के अनुसार, विज्ञान तकनीक एवं नवाचार पर केन्द्रित न्यूजलेटर का प्रकाशन,  मौलिक रचनाओं से समृद्ध पुस्तकों का प्रकाशन, सोशल मीडिया पर मैथिली में विज्ञान के कार्यक्रम, मैथिली मे विज्ञान विषयों पर आधारित ब्लॉग लेखन, लघु फिल्मध्वेब सिरीज का निर्माण,  इंडिया साइंस वायर पर उपलब्ध विज्ञान सामग्री का मैथिली में अनुवाद तथा विज्ञान प्रसार मे उपलब्ध  खिलौना एवं किट्स का मैथिली में रूपान्तरण आदि प्रस्तावित है।

बैठक के दौरान विज्ञान प्रसार के कपिल त्रिपाइी, मानवर्धन कंठ और आकाशवाणी के दिलीप झा ने कहा कि हम सब  लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने को  लेकर समर्पित है। अब तक विज्ञान प्रसार ने अंग्रेजी, हिंदी एवं उर्दू के अलावा बांग्ला, तमिल एवं मराठी भाषाओं में साइंस कम्युनिकेशन, पोपुलराइजेशन एवं आउटरीच के कार्यों को आगे बढ़ाया है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैथिली में भी विज्ञान प्रसार का निर्णय लिया गया है। पहली कोर समिति की बैठक में प्रकाश झा, रोशन कुमार झा, सुभाष चन्द्र, संजीव सिन्हा, अशोक प्रियदर्शी, कणु प्रिया और पीएन सिंह उपस्थित थे। सभी ने इस संदर्भ में अपनी बातों को रखा।

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