झारखंड में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का निर्णय

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हिमांशु शेखर.रांची.भारी विरोध के बीच सीएनटी और एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन प्रस्ताव को वापस लेने के लिए झारखंड की रघुवर सरकार अब बैकफुट पर आ गयी है। राज्य की तमाम विपक्षी दलों यहां तक कि भाजपा के भीतर से भी दोनों एक्टों में संशोधन प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की जा रही थी। बताते चलें कि राज्यपाल द्वारा भी संशोधन प्रस्ताव को वापस सरकार के पास भेज दिया गया था।

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जनजातीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में प्रस्तावित संशोधन को निरस्त करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी के सहयोग से आगे बढ़ना चाहती है। राजनीतिक और सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय से सरकार को अवगत करा सकते है। सरकार सभी के सुझावों का स्वागत करेगी। मुख्यमंत्री ने तीन अगस्त 2017 को टीएसी की अगली बैठक बुलाने की घोषणा की। आज टीएसी की बैठक प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री सह टीएसी अध्यक्ष रघुवर दास की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

कई संगठनों ने राज्यपाल के समक्ष राय रखी थी

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समक्ष कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने संशोधन प्रस्ताव को लेकर अपनी-अपनी राय रखी थी। राज्यपाल ने उन विचारों को राज्य सरकार के पास भेजा है ताकि संशोधन को और बेहतर बनाया जा सके। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्यपाल द्वारा उठाये गये बिंदू और राजनीतिक तथा सामाजिक संगठनों की राय जानने के बाद उन्होंने सरकार के मंत्रियों, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, भाजपा के सांसदों व विधायकों, भाजपा संगठन के नेताओं, सरकार में शामिल सहयोगी दलों के नेताओं और विधायकों से राय विचार किया। सभी के सुझाव और राय जानने के बाद सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में प्रस्तावित संशोधनों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि अन्य दो संशोधन प्रस्तावों पर 3 अगस्त को होनेवाली टीएसी की बैठक में विस्तृत चर्चा होगी। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिए प्रदेश की सवा तीन करोड़ जनता का हित सर्वोपरि है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों के साथ सरकार कोई भेदभाव नहीं करेगी और उनका हित सबसे ऊपर होगा।

टीएसी की बैठक में अन्य फैसले

मुख्यमंत्री ने बताया कि टीएसी की पिछली बैठक में तय हुआ था कि अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए लोन दिलाने का काम सरकार करेगी। इसके लिए सरकार ने 50 करोड़ का शिक्षा गारंटी फंड तैयार किया है। झारखंड देश का पहला राज्य होगा, जिसने इस तरह का फंड बनाया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि टीएसी बैठक में एसटी और एससी को आवास लोन दिलाने पर भी चर्चा हुई है। तय हुआ है कि त्रिपुरा हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में सरफेसी एक्ट में संशोधन के लिए झारखंड सरकार केंद्र सरकार से अनुरोध करेगी। केंद्र सरकार से अनुरोध किया जायेगा कि अगर अनुसूचित जनजाति का कोई व्यक्ति लोन नहीं चुकाता है तो राज्य सरकार बंधक पड़ी जमीन खुद ले लेगी। उसके बाद ये जमीन किसी अनुसूचित जनजाति को ही दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि बैठक में सदस्यों को जानकारी दी गई कि उच्च विद्यालयों में क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक वहां बोली जानेवाली स्थानीय भाषा के ही हिसाब से पदस्थापित किये जा रहे हैं। साथ ही जिलावार कुल स्वीकृत पदों की जानकारी सदस्यों को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरना, मसना और जाहेर स्थान की घेराबंदी पारंपरिक प्रधानों की देखरेख में एक समिति द्वारा की जायेगी। जुलाई में 600 स्थानों पर घेराबंदी का काम शुरू हो जायेगा। इसके लिए 80 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि जल्द से जल्द एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी टीएसी के निर्णयों के क्रियान्वयन के पर्यवेक्षण के लिए तैनात किया जायेगा। बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा कल्याण मंत्री लुईस मरांडी, ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी के अलावा टीएसी सदस्य विमला प्रधान,  मेनका सरदार, हरेकृष्ण सिंह,लक्ष्मण टुडू, शिवशंकर उरांव, ताला मरांडी, रामकुमार पाहन, सुखदेव भगत, जेबी तुबिद, हेमलाल मुर्मू, रतन तिर्की आदि मौजूद थे।

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