संघमुक्त और शराबमुक्त भारत का नीतीश ने काशी में किया आह्वान

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आशीष राय.वाराणसी.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मिशन यूपी की शुरुआत की. अपने भाषण में नीतीश कुमार ने जमकर भाजपा पर हमला किया और शराबमुक्त भारत व संघ मुक्त भारत का आह्वान भी किया.  वाराणसी पिंडरा के नेशनल इंटर कॉलेज में सक्रिय कार्यकर्ता सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी अहंकार में डूबी हुई है और दूसरों का मजाक उड़ाना उनकी आदत बन गई है. हम संघ मुक्त भारत और शराब मुक्त समाज चाहते हैं.

नीतीश ने कहा कि जब बिहार चुनाव से पहले आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन बना तो बीजेपी ने खूब मजाक उड़ाया, लेकिन बिहार की जनता ने महागठबंधन को प्रचंड बहुमत देकर इनको करार जवाब दिया और एक सबक सिखाया.

नीतीश ने कहा कि दो साल पहले जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया लेकिन अब वाराणसी के लोगों को भी पता चल चुका है कि उनके साथ क्या हुआ. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की जनता ने विधानसभा में महागठबंधन को जीत दिलाकर बीजेपी को सबक सिखा दिया. यूपी के लोग बीजेपी को पहचाने इनके कथनी और करनी में बहुत अंतर है.

मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि लोक सभा चुनाव में काले धन का 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया था. उन्होंने कहा था 100 दिनों के अंदर कालाधन आ जाएगा. और लोगों को उनका हिस्सा मिलेगा. लेकिन दो साल बाद क्या हुआ. हमने तो कहा कि 15 लाख न सही 10-15 हजार ही दे दो.नीतीश ने कहा कि अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि कालेधन वाला बयान महज एक जुमला था.

नीतीश ने कहा कि इतना ही नहीं बीजेपी ने किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर समर्थन मूल्य दिया जाएगा. लेकिन उस वादे का क्या हुआ? बिहार की जनता ने तो सिखा दिया. अब मैं यूपी में आया हूं. यहां लोगों को बीजेपी के असली चरित्र को समझना पड़ेगा.

आरएसएस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव से पहले इन लोगों ने बीफ और घर वापसी का मुद्दा उठाया. इतना ही नहीं देशभक्ति की बात की. ये वे लोग हैं जिन्होंने कभी आजादी के लड़ाई में शामिल नहीं हुए और ये लोग देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं. हमें इनसे देशभक्ति की बात नहीं सीखनी.मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस कभी भी आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी और देशभक्ति की बात करते हैं. जो हमेशा से भगवा झंडे की बात करते थे वे अब तिरंगे झंडे की बात करने लगे हैं. यह हमारी वैचारिक जीत है.

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