विस में उठा बिहार में क्रिकेट की बदहाली का मामला,निशाने पर लालू-सिद्दिकी

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निशिकांत सिंह.पटना.बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता डॉ० प्रेम कुमार ने आज सदन में बीसीसीआई द्वारा बिहार क्रिकेट को पूर्ण मान्यता के साथ रणजी ट्राफी खेलने का अवसर देने पर हार्दिक बधाई दी साथ उन्होंने कला संस्कृति एवं युवा विभाग की चर्चा के दौरान कहा की सन 2000 में बिहार के विभाजन के पश्चात 2001 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने तथा वर्तमान सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी कार्यकारी अधायक्ष.प्रेम कुमार ने दोनों को बदहाली के लिए जिम्मेवार ठहराया.

प्रेम कुमार ने कहा कि सिद्धकी कार्यकारी अध्यक्ष बने थे लेकिन इनके बनने के बाद से बिहार क्रिकेट अपनी पहचान बनाने में पूर्णतः असफल रहा सन 2008  में बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को एसोसिएट की मान्यता के साथ राज्य के क्रिकेट के विकास के लिए 50 लाख की राशि दी थी. इसके साथ ही दर्जनों की संख्या में आधुनिक मशीनें भी उपलब्ध कराई थी. लेकिन बीसीसीए द्वारा क्रिकेट का विकास नहीं करके 50 लाख की राशि का गबन कर दिया.बिहार के हजारों नौनिहाल खिलाडियों के भविष्य इन लोगों के कारण चौपट हो गया. बीसीसीआई की नई कमिटी पर भरोसा है कि इस बार बिहार के मामले मे सही तरीके से सही लोगों को क्रिकेट चलाने का मौका देगा.उन्होंने कहा की राजद के खेल मंत्री शिवचन्द्र राम को खेल के विकास से कोई लेना देना नहीं है.बिहार के सरकारी नौकरी में विभिन्न खेलों के खिलाडियों की बहाली पूर्व की तरह नहीं हो रही है. भाजपा शासित राज्यों में प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में खिलाडियों की बहाली की जाती है और क्रिकेट में प्रति वर्ष करीब 15 की संख्या में रणजी ट्राफी खिलाडी खेलते हैं.

डॉ प्रेम कुमार ने कहा की विगत 17 वर्षो में अगर केवल खिलाडियों की चिंता की जाती तो बिहार से भी धोनी और तेंदुलकर बन कर निकलते सकते थे.उन्होंने बीसीसीआई से क्रिकेट के विकास के लिए संकल्पित  संघ को ही बिहार में क्रिकेट चलाने का मौका दिए जाने का आग्रह किया है. साथ ही कहा है कि एसोसिएशन ऑफ़ बिहार क्रिकेट अन्य क्रिकेट संघ की गतिविधियाँ की समीक्षा के साथ अब तक के आयोजनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. जो भी संघ खिलाडियों के हित में काम करता हो वैसे लोगो को ही मौका मिलना चाहिये.

इससे पूर्व आज विधानसभा में शिक्षको पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में हंगामा हुआ. शुन्यकाल के दौरान विपक्ष ने इसपर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया तथा कार्यस्थगन नामंजूर होने के बाद हंगामा करने लगा.

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