सरकार के दबाव में सुरक्षा प्रहरी नियुक्ति घोटाले की तैयारी- नेता प्रतिपक्ष

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संवाददाता.पटना.बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने विधानसभा में सुरक्षा प्रहरी नियुक्ति में बड़े पैमाने पर अनियमितता और घोटाले की बू आने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब सरकार के दबाव में विधानसभा में सुरक्षा प्रहरी नियुक्ति में एक बड़े घोटाले की तैयारी है । उन्होंने कहा कि बहाली के नाम पर सभा सचिवालय के कर्मियों और पदाधिकारियों द्वारा एजेंटों के माध्यम से बेरोजगार युवाओं से नौकरी के नाम पर वसूली भी की जाने की बात चर्चा में हैं ।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा प्रहरी नियुक्ति के लिए चयनित एजेंसी ने ही पूरी नियुक्ति प्रक्रिया तैयार की है । भ्रष्टाचार में अब सबसे चर्चित ‘नीतीश मॉडल’ बन गया है, जिसमे बिहार में घोटालों की बारात सज रही है । उन्होंने कहा कि अभी बीते सप्ताह ही 1600 करोड़ के एंबुलेंस ठेका में घोटाला सामने आया जिसमें सीधे जदयू सांसद के परिजनों का नाम उजागर हुआ । ताजा मामला बिहार विधानसभा में सुरक्षा प्रहरी की बहाली से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि  अब टेंडर / निविदा  प्राप्त करने वाली एजेंसी हीं टेंडर /निविदा की शर्तों को तैयार करता है । उन्होंने कहा कि 23 जून को मैने विधानसभा अध्यक्ष महोदय को एक पत्र लिख कर बहाली से जुड़ी जानकारियां मांगी है, जिससे सच का पता चल सके ।
श्री सिन्हा ने बताया कि बिहार विधान सभा पटना के विज्ञापन संख्या NIT No 14/22 द्वारा सुरक्षा प्रहरी की निविदा प्रकाशित हुई है। ऐसी सूचना मिली है कि निविदा की शर्त चयनित एजेंसी ने बनाई है । उन्होंने कहा कि विधानसभा सचिवालय द्वारा एजेंसी का चयन भी मनमाने और भेदभावपूर्ण रूप से किया गया है। एजेंसी को कार्य आवंटन के बाद निविदा शर्तों में सुधार किया गया । विज्ञापन में जितनी सुरक्षा राशि एजेंसी से जमा करानी थी उसे अंतिम चयन के बाद बदल कर कम कर दिया गया है । इसी प्रकार चयनित एजेंसी को कार्य प्रारंभ से समाप्ति तक अलग अलग कार्यों के लिए अलग अलग समय पर भुगतान के प्रावधान की शर्त को भी बदल दिया गया और पूरी प्रक्रिया बदलकर एकमुश्त भुगतान करने का प्रस्ताव किया गया ।
उन्होंने यह भी कहा कि चयन के लिए जो समिति गठित हुई वह भी नियमानुकूल नहीं है। इस समिति में एक ऐसे व्यक्ति को रखा गया है जिनका आचरण पूर्व भी संदेहास्पद रहा है ।  बहाली के लिए चयनित एजेंसी को कार्य का अनुभव नहीं है और पूर्व में भी समय पर काम पूरा नहीं कर पाने पर इनके विरुद्ध कार्रवाई हुई है । ऐसे में इस एजेंसी का चयन बताता है कि दाल में कुछ काला है लेकिन आगे और जो बातें सामने आ रही है उससे लगता है कि पूरी दाल ही काली है ।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होने के कारण  विवाद भी हुए हैं , निगरानी जांच भी हुई है। तत्कालीन अध्यक्ष के नाते चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने हेतु एक सर्वदलीय समिति बनाई जाए जिसके देखरेख में प्रक्रिया करने की बात कही थी । उन्होंने कहा कि बिहार में कमीशनखोरी की ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ की सरकार है और यही मॉडल नीतीश कुमार लेकर जनता के बीच जाएंगे ।
प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रोफ़ेसर अजफर शमशी, प्रदेश प्रवक्ता उदय सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह उपस्थित रहे l

 

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