जातीय जनगणना पर कई और राज्यों में हो रही है चर्चा- मुख्यमंत्री

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Ethnic census

संवाददाता.पटना. बिहार सरकार द्वारा अपने स्तर से जातीय जनगणना करवाने के मामले को साफ करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसपर यहां सभी से बात की जायेगी। अगर आवश्यकता होगी कि बिहार में जानकारी के लिए जाति की गणना की जाए तो इसको लेकर सभी से बात की जायेगी। हमने अभी इसको लेकर कुछ नहीं कहा है। हमलोगों की इच्छा है कि देश भर में जातीय जनगणना हो जाये, यह बहुत अच्छा होगा।
‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। जातीय जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के संबंध में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका लिखा पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को 4 तारीख को प्राप्त हो चुका है। अभी तक इसका जवाब नहीं आया है। हमलोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो जाय, यह केंद्र सरकार पर निर्भर है। यह हमलोगों की पुरानी मांग है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1931 में अंतिम बार जातीय जनगणना हुई थी, इसे एक बार फिर कराना देश के हित में है, ये सबके हित में है। लोगों के उत्थान के लिए यह जरुरी है। विकास का लाभ सभी को मिलना चाहिए। जाति का आंकड़ा एक बार सामने आ जाने के बाद सबके हित में काम होगा। ये राष्ट्र और देश के हित में है। ये किसी व्यक्ति विशेष के हित की बात नहीं है। वर्ष 2019 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद् से सर्वसम्मति से इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया। इसके बाद वर्ष 2020 में विधानसभा से एक बार फिर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। हमलोगों की इच्छा है कि जातीय जनगणना हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ बिहार में ही नहीं कई और राज्यों में जातीय जनगणना को लेकर चर्चा हो रही है। इसको लेकर हमारे पार्टी के सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलने को लेकर पत्र लिखा था तो उनकी मुलाकात गृह मंत्री श्री अमित शाह से हुई थी। सांसदों ने गृह मंत्री से मिलकर अपनी बातों को कह दिया है। बिहार के विपक्षी दलों की भी इच्छा थी कि हमारे नेतृत्व में चलकर प्रधानमंत्री जी से मिला जाय। इसको लेकर हमने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा है। जातीय जनगणना को लेकर निर्णय लेना केंद्र सरकार का काम है। हमलोग अपनी इच्छा को प्रकट करते रहे हैं। यह सामाजिक हित की बात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की तारीख यानि 9 अगस्त को बिहार में पृथ्वी दिवस के रुप में मनाया जाता है। वर्ष 2011 से बिहार में पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद वृक्ष को लेकर कभी सर्वेक्षण नहीं कराया गया था। बिहार और झारखंड जब एक था तो झारखंड के इलाके में काफी वृक्ष था। हमने सर्वेक्षण कराया तो झारखंड के अलग होने के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत ही था। 2011 में हमने पृथ्वी दिवस मनाना शुरु किया और इसके तहत बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कराना शुरु किया। इसके तहत हमने 24 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया। इसको लेकर निरंतर अभियान चलाया जाता रहा है। हरियाली मिशन के तहत करीब 22 करोड़ पौधे लगाये गये।2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाने का फैसला किया। इसके अंतर्गत 11 प्वाइंट तय किये गये हैं, जिसमें एक है बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कराना। हमलोगों ने बिहार का हरित आवरण कम से कम 17 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया। इसको लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पृथ्वी दिवस के दिन भी हमलोगों ने वृक्षारोपण किया है।

बिहार में टीकाकरण से संबंधित पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में पूरी मजबूती के साथ वैक्सीनेशन का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ‘6 महीने में 6 करोड़’ वैक्सीनेशन के लक्ष्य को जरुर प्राप्त करेंगे, इसमें कोई शक नहीं है। शुरु में हमने वैक्सीन खरीदा भी था लेकिन बाद में प्रधानमंत्री जी की घोषणा के अनुरुप केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन उपलब्ध कराया जा रहा है। बिहार में वैक्सीनेशन का काम बहुत अच्छे ढंग हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में जदयू के चुनाव लड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी का सब जगह विंग्स है। अभी हमारी पार्टी के नेशनल एक्जिक्यूटिव की मीटिंग थी उसमें भी लोगों ने इच्छा प्रकट की थी। ये तो नेशनल एक्जिक्यूटिव का काम है। एलायंस या अलग लड़ने के संबंध में पार्टी के लोग निर्णय लेंगे। यू0पी0 में दो सौ सीटों पर लड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। यू0पी0 में चुनाव प्रचार में जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तो इसके बारे में एक-एक चीज पर निर्णय होगा जो आपलोगों के सामने आयेगा
मंडल कमीशन के बाकी रिकोमेंडेशन को लागू करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये तो गवर्नमेंट का काम है। एक महत्पूर्ण रिकोमेंडेशन था रिजर्वेशन, वो तो पहले ही लागू हो चुका है। इसके अलावा और जो कुछ भी गरीब-गुरबा तबकों के उत्थान के लिये करना है वो देखने वाली बात है। जब से बिहार की जनता ने सेवा करने का मौका दिया है, तब से हमलोगों ने महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक, अति पिछड़े एवं अन्य सभी वर्गों के लिये काम करते रहे हैं। इनके लिये विशेष तौर पर बहुत सारी योजनायें बनायी गयी। महादलितों, दलितों के लिये भी योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास और सभी के लिए शिक्षा तथा लोगों की प्रगति के लिये हमलोग लगातार काम कर रहे हैं।

 

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