राजगीर में होगा गुरूनानकदेव जी का 550वां प्रकाशोत्सव समारोह- नीतीश कुमार

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संवाददाता.पटना. इस वर्ष 12 नवंबर को राजगीर में गुरुनानक देव जी महाराज का 550 वां प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा।इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि  हमारी इच्छा है कि प्रकाश उत्सव से पहले राजगीर का गुरूनानक शीतल कुंड गुरूद्वारा बनकर तैयार हो जाय।बिहार सरकार ने 12 नवंबर को राजकीय अवकाश की घोषणा कर दी है और जितना संभव होगा सरकार मदद करेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को राजगीर में गुरुनानक शीतल कुंड गुरुद्वारा का ईट रखकर एवं शिलापट्ट का अनावरण कर शिलान्यास किया। राजगीर के हॉकी ग्राउंड हेलीपैड से शीतल कुंड गुरुद्वारा पहुंचकर मुख्यमंत्री ने मत्था टेका। शिलान्यास के मौके पर शीतल कुंड प्रांगण में आयोजित समारोह में सिख संगत ने मुख्यमंत्री को पुष्पगुच्छ एवं सरोपा भेंटकर उनका स्वागत किया।

इस मौके पर वाहे गुरुजी की खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह के उदघोष के साथ मुख्यमंत्री कहा कि आज गुरुद्वारा श्री गुरुनानक शीतल कुंड राजगीर का शिलान्यास हो गया है, इससे मुझे बेहद खुशी है। राजगीर में अलग-अलग समय मे सभी धर्मों के महापुरुषों का आगमन हुआ है। यह अद्भुत जगह है।इस जगह की ऐतिहासिक और पौराणिक रुप से भी काफी महत्ता है। उन्होंने कहा कि मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर ही थी जो पंच पर्वत से घिरा हुआ है। प्रारम्भ से ही इस जगह का काफी महत्व रहा है जहाँ बाद के दिनों में बिम्बिसार यहाँ का राजा बना।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गुरुनानक देव जी इस स्थान पर पधारे थे उस समय इस कुंड का पानी गर्म था। उस समय लोगों ने गुरुनानक देव जी महाराज से यह आग्रह किया कि यहाँ सभी कुंडों में गर्म पानी है कम से कम एक कुंड में शीतल जल भी होना चाहिए। लोगों की इच्छा के अनुरूप गुरुनानक देव जी महाराज ने अपनी क्षमता से कुंड का जल शीतल कर दिया।

उन्होंने कहा कि हर 3 वर्ष पर एक माह के लिए लगनेवाला मलमास मेला और मकर संक्रांति के मौके पर बड़ी संख्या में लोग राजगीर आते हैं। मान्यता है कि मलमास मेले के दौरान पूरे एक माह तक 33 करोड़ देवी-देवता यहाँ निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि 14 वर्ष तक भगवान महावीर राजगीर और नालंदा में रहें जबकि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति से पहले और ज्ञान प्राप्ति के बाद यहाँ आकर निवास किये थे। सूफी संत मकदूम साहब का भी इस धरती पर आगमन हुआ है और 512 साल पहले गुरुनानक देव जी भी इस धरती पर आए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में 7 दिनों तक रहकर यहां के एक-एक चीज को मैंने देखा। शीतल कुंड और पांडु पोखर काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे था जिसे दुरुस्त किया गया। उसी समय हमने यह भी तय किया कि शीतल कुंड के पास गुरुद्वारा ठीक ढंग से बनना चाहिए। उसके बाद जब गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350 वा प्रकाश पर्व मनाया गया उसमे भी हमने बाबा मोहिंदर सिंह जी से इस बारे में चर्चा की ताकि यहाँ नए ढंग से गुरुद्वारा बन जाये। उन्होंने कहा कि पर्वत के नीचे यह जगह प्रिजर्वड है इसलिए अनुमति लेने के बाद यह काम प्रारम्भ किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना स्थित गायघाट का भी काफी महत्ता है जहाँ गुरुनानक देव जी आए और जैतामल जी उनका शिष्य बने। जैतामल जी हर रोज गंगा में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना किया करते थे। लेकिन बाद में उम्र अधिक हो जाने के कारण वे गंगा में स्नान करने में जब अक्षम हो गए तो गंगा माँ स्वयं गाय के रूप में आकर उन्हें प्रतिदिन स्नान कराने लगी जिसके कारण उस जगह का नाम गायघाट पड़ा। इसी क्रम में नौवें गुरु तेगबहादुर जी घोड़े पर सवार होकर आए और वे उसी स्थान  पर बैठे जिस जगह पर गुरुनानक देव जी बैठा करते थे। गुरु तेगबहादुर का दर्शन पाने के बाद जैतामल को मुक्ति मिल गयी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 352 वें प्रकाश पर्व पर जो भी संभव हो सका है पटना साहिब के बाल लीला और कंगन घाट पर तैयारी की गई है। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह जी महाराज तक से संबंधित जो भी महत्वपूर्ण जानकारियां है उन सबसे लोग अवगत हो सके इसके लिए राज्य सरकार ने प्रकाश पुंज का निर्माण कराना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म पटना साहिब (बिहार) में हुआ यह हम सभी के लिए काफी गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि गुरु ने हमें फर्ज का एहसास कराया और ऐसे में सेवा करना हमारा दायित्व है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार गरीब राज्य होने के बावजूद यहाँ सेवा में कोई कमी नही होगी। उन्होंने कहा की प्रकाश पर्व के बाद सिख श्रद्धालुओं का पूरे देश और देश के बाहर से भी बिहार आने की संख्या में इजाफा होने लगा है। भव्य तरीके से 350 वां प्रकाश पर्व के बाद 351 वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह मनाया गया और अब 352 वें प्रकाश पर्व को देखते हुए लोगों के आने की संख्या काफी बढ़ने लगी है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष हो रहे आयोजन को देखते हुए सिख श्रद्धालुओं का बिहार आगमन निरंतर बड़ी संख्या में होने लगा है जिसके लिए बार-बार टेंट सिटी बनवाना पड़ता है। इसलिए स्थायी रूप से अब कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए हमने मुख्य सचिव को कह दिया है। कम्युनिटी सेंटर का निर्माण हो जाएगा तो लोग शादी-विवाह या विशेष आयोजन के मौके पर उसका उपयोग कर सकेंगे और जब प्रकाश पर्व का समय आएगा तो उसे 25 से 30 दिनों के लिए गुरुद्वारा के हवाले कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शीतल कुंड राजगीर में गुरुनानक देव जी पधारे और यहाँ रहें। ऐसे में यहाँ गुरुद्वारा का निर्माण हो जाएगा तो देश और देश के बाहर रहनेवाले सिख श्रद्धालु जो ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक चीजों में दिलचस्पी रखते हैं वे यहाँ मत्था टेकने आएंगे। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव जी के 550 वे प्रकाश उत्सव में हमलोगों का पूरा सहयोग रहेगा। अपने संबोधन के अंत मे मुख्यमंत्री ने जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल का उच्चारण किया।

समारोह को जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब हरप्रीत सिंह जी, गुरुनानक निश्काम सेवक जत्था यू.के. बाबा मोहिंदर सिंह जी,  मुखी राणा सम्प्रदाय के संत बाबा बजेन्दर सिंह जी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के जत्थेदार बाबा गोविंद सिंह जी लोंगेवाल, दिल्ली गुरुद्वारा के जत्थेदार एवं पटना साहिब तख्त हरिमंदिर के जत्थेदार ज्ञानी इक़बाल सिंह ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, सांसद कौशलेंद्र कुमार, विधायक रवि ज्योति, विधायक चंद्रसेन , बिहार राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष जी.एस. कंग, सुमित कलसी सहित अन्य गणमान्य लोग, वरीय अधिकारीगण, जत्थेदार, सेवादार एवं बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु उपस्थित थे।

 

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