एक युग का अंत,नहीं रहे अटलजी,सात दिन का राष्ट्रीय शोक

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नई दिल्ली.देश के लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का निधन हो गया.  दिल्ली के एम्स में गुरूवार शाम 5 बजकर 5 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली.पीएम मोदी ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है. हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था. उनका जाना, एक युग का अंत है.

विगत 11 जून को अटलजी को (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था. उसके बाद से ही उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. बुधवार देर रात AIIMS की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया था कि उनकी हालत बेहद नाजुक है और उनके लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया है. इसके बाद से ही एम्स में उनके समर्थकों और नेताओं के पहुंचने का सिलसिला तेज हो गया. खुद प्रधानमंत्री ने एम्स जाकर उनका हालचाल जाना.

लगभग 14 साल से अटलजी की तबियत खराब थी. जैसे-जैसे उनकी सेहत गिरती गई, धीरे-धीरे उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया. वाजपेयीजी करीब 8 साल से बिस्तर पर हैं. उनकी आखिरी तस्वीर तीन साल पहले 2015 में दिखी थी. मार्च 2015 में वाजपेयी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों दिल्ली स्थित उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद वाजपेयी अब तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में अपनी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ रहते रहे.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. वाजपेयी का पार्थिव शरीर सुबह नौ बजे बीजेपी मुख्यालय ले जाया जाएगा.यहां उनका पार्थिव शरीर आम लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. सूत्रों के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार शुक्रवार दोपहर 01:30 बजे होगा.

तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अस्वस्थता के चलते लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थे. अटल बिहारी वाजपेयी देश की सक्रिय राजनीति में पांच दशक से ज्यादा समय तक रहे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लड़ा, हालांकि पहली जीत उन्हें 1957 में मिली.तब से 2009 तक वे लगातार संसदीय राजनीति में बने रहे. 1977 में वे पहली बार मंत्री बने, जबकि 1996 में वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री भी रहे.हालांकि 1998 में उन्हें एक बार फिर पीएम बनने का मौका मिला. उनकी ये सरकार भी सिर्फ 13 महीने चली लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के बहुमत वाली सरकार बनी और वाजपेयी ने पीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया.

 

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