सिविल सर्विस में पिछड़ता बिहार

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अभिजीत पाण्डेय.पटना. कुछ साल पहले तक देश में सबसे ज्यादा सिविल सर्विस के ऑफिसर बिहार से ही होते थे।लेकिन अब बिहार पिछड़ रहा है।21 अप्रैल को भारत में सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बिहारियों के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्यों पिछड़ रहा है बिहार।
बताते चलें कि 2011 से 2015 के बीच यूपी ने 118 आईएएस दिए हैं। वहीं बिहार इस मामले में काफी पीछे रह गया। बिहार से सिर्फ 68 आईएएस ही निकले।इस दौरान 97 आईएएस के साथ दूसरे नंबर पर राजस्थान और 90 आईएएस के साथ तमिलनाडु रहा। इसके बाद बिहार का नंबर आता है।
बिहार से सबसे ज्यादा आईएएस अधिकारी 1987 से 1996 के बीच चुने गए थे। इस दौरान यूपीएससी के जरिए कुल 982 आईएएस अधिकारियों का चयन हुआ, जिसमें अकेले बिहार से 159 अधिकारी शामिल थे।
भारत सरकार हर साल यह दिन सिविल सेवकों को समर्पित करती है क्योंकि 1947 में दिल्ली में मेटकाल्फ हाउस में स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र देश के सिविल सेवकों की नौकरी के पहले बैच को संबोधित किया था। अपने भाषण में, सरदार पटेल ने ब्यूरोक्रैट्स को “भारत के इस्पात फ्रेम” के रूप में संदर्भित किया था।इस दिन, देश के विभिन्न कोनों से सिविल कर्मचारी एक साथ आते हैं और एक-दूसरे से मिलते हैं और सार्वजनिक डोमेन में काम करने के एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हैं।

 

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