उपचुनाव में चला सहानुभूति लहर,न किसी को लाभ न नुकसान

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अभिजीत पाण्डेय.पटना.बिहार के एक लोकसभा और दो विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में न किसी दल को लाभ हुआ न किसी को नुकसान.जिसकी जो सीटें थी उसने बचा ली.उपचुनाव में अररिया और जहानाबाद से राजद और भभुआ से बीजेपी ने जीत हासिल की है. इन तीनों सीटों पर सहानुभूति फैक्टर महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अररिया से राजद के सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन से खाली सीट पर उनके बेटे सरफराज आलम को जनता से सिर आंखों पर बैठाया है.उन्होंने बीजेपी के प्रदीप सिंह को करीब 57 हजार वोटों से पराजित किया है.
सरफराज आलम जदयू के विधायक थे लेकिन उपचुनाव की घोषण के साथ ही उन्होंने जदयू से इस्तीफा देकर राजद के उम्मीदवार बन गए और जीत हासिल की. मोहम्मद तस्लीमुद्दीन को सीमांचल का गांधी कहा जाता था और वो इस सीट के कई बार विजयी हुए थे. सरफराज की जीत के पीछे कई कारणों के अलावा सहानुभूति को भी बड़ा कारण माना जा रहा है.
इसी तरह भभुआ विधानसभा सीट से बीजेपी की रिंकी रानी पांडेय की जीत हुई है. उनके पति आनंद भूषण पांडेय के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी. काफी सालों की मेहनत के बाद आनंद भूषण पांडेय से 2105 विधानसभा चुनाव में इस सीट से विजयी हुए थे. लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया.
इस चुनाव में रिंकी रानी पांडेय पार्टी के मुद्दों के साथ साथ पति के किये कामों को जोर शोर से उठा रही थी.
जहानाबाद विधानसभा सीट की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. इस सीट से राजद के कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय कुमार ने जीत हासिल की है. मुंद्रिका यादव के निधन के बाद जहानाबाद सीट खाली हुई थी. राजद ने मुंद्रिका यादव के छोटे बेटे सुदय यादव को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने राजद की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए जीत हासिल की है. ऐसा माना जा रहा है कि एमवाई समीकरण के साथ मुंद्रिका यादव के काम और सहानुभूति के कारण सुदय यादव ने भारी मतों से जीत हासिल की है.
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी ट्वीट कर कहा कि यह किसी का कोई कमाल नहीं. सहानुभूति का कमाल है.बिहार में लोगों ने परिवारों को जिता दिया।.उधर राजद नेताओं ने अपनी जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में इस जीत ने साबित कर दिया कि तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकारा जाने लगा है.

 

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