क्यों फिर बिफरे संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ?

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हिमांशु शेखर.रांची. झारखंड में मंत्री सरयू राय के रुख से झारखंड का राजनीति तापमान एकबार फिर गर्म हो गया है.इससे पहले भी सरयू राय,मुख्यमंत्री और सरकार के कामकाज पर अपनी नाराजगी जाहिर कर सुर्खियों में रहे हैं.निर्धारित समय से पहले विधानसभा के बजट सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगन की घोषणा के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास से दो टूक कह दिया- वे संसदीय कार्यमंत्री पद पर नहीं रहना चाहते हैं.

सरयू राय की इस पहल पर सत्ता के साथ-साथ विपक्षी खेमे में भी कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।विपक्षी हो-हंगामें के बीच झारखंड विधानसभा का बजट सत्र एक हफ्ता पहले ही मंगलवार को समाप्त हो गया।गौरतलब है कि मंत्री सरयू राय ने विधानसभा की कार्यवाही से दूरी बनाये रखी।विधानसभा की पहली पाली में वह थोड़ी देर के लिए ही पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा सीट ग्रहण करने के बाद वहां से चले गये और पूरे दिन वह अपने कक्ष में रहे।

उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को सूचित किया है कि उनके लिए अलग सीट की व्यवस्था हो।आमतौर पर सदन की परंपरा के मुताबिक संसदीय कार्यमंत्री सदन के नेता के दाएं बैठते हैं।कार्यवाही के दौरान यह सीट आज खाली थी। सीएम रघुवर भी यह देख असहज हो गये। उन्होंने इशारों में इस बारे में अपने साथी मंत्रियों से जानकारी लेने की कोशिश की।हालांकि तबतक माहौल सामान्य हो चुका था।

मीडिया से बातचीत में सरयू राय ने कहा कि दो साल से सत्र ठीक तरीके से नहीं चल पा रहा है। इसके लिए वह खुद को भी जिम्मेदार मानते हुए संसदीय कार्यमंत्री के पद पर बने रहना नहीं चाहते हैं। दूसरी ओर झारखंड राजनीतिक गलियारे में यह कयास लगाया जा रहा है कि नगर विकास मंत्री सीपी सिंह को संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेवारी दी जा सकती है।

इधर,झारखंड सरकार का वित्तीय वर्ष 2018-19 का 80,200 करोड़ रुपये का बजट मंगलवार को विधानसभा में बगैर बहस के पास हो गया। झामुमो विधायकों द्वारा वेल में आने, हो-हंगामे के बीच बजट पर सीएम रघुवर दास ने सरकार की ओर से जवाब दिया। मुख्यमंत्री के जवाब दौरान ही विपक्ष की ओर से सदन का बहिष्कार कर दिया गया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही सरकार का बजट पास हुआ। अंत में विपक्ष की अनुपस्थिति में ही बजट पास करा लिया गया।

 

 

 

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