झारखंड के विवि शिक्षकों एवं कर्मियों के वेतन-पेंशन भुगतान की नई व्यवस्था

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संवाददाता.रांची.झारखंड के विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव, योजना एवं वित्त विभाग अमित खरे ने विश्वविद्यालय के कर्मियों के वेतन भुगतान तथा पेंशनरों के पेंशन भुगतान के संबंध में निर्देश दिया है कि प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में महाविद्यालयों के प्राचार्य अगले माह के वेतन भुगतान की राशि की आवश्यकता पूर्ण विवरणी के साथ विश्वविद्यालय को भेजेंगे और विश्वविद्यालय से अगले माह के प्रथम सप्ताह में यह राशि महाविद्यालयों के बैंक एकाउन्ट में जमा करा दी जाएगी।

श्री खरे राँची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेश कुमार पाण्डेय एवं वित्तीय सलाहकार सुविमल मुखोपाध्याय के साथ विश्वविद्यालय के कर्मियों के वेतन भुगतान तथा पेंशनरों के पेंशन भुगतान की प्रक्रिया पर चर्चा कर रहे थे.श्री खरे ने कहा कि वित्तीय वर्ष 17-18 के लिए मुख्यमंत्री के अनुमोदन के पश्चात् यह निर्देश दिया गया है कि सभी महाविद्यालयों की यह जिम्मेवारी होगी कि शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के सभी भुगतान आरटीजीएस,एनईएफटी द्वारा उनके सीधे खाते में जमा होंगे। विश्वविद्यालय के विभागवार शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के सभी भुगतान भी विश्वविद्यालय के बैंक खाते से आरटीजीएस,एनईएफटी  द्वारा सीधे शिक्षकों व कर्मियों एवं पेंशनरों के खाते में भेजा जाएगा।

लेखा नियंत्रण में कठिनाई होगी- कुलपति,रांची विवि

इस संदर्भ में राँची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के लगभग 1,687 कर्मियों में से कतिपय कर्मी अभी भी चतुर्थ/पंचम वेतनमान में हैं और उनकी सेवा नियमितिकरण का मामला भी जस्टिस एसबी सिन्हा आयोग में लंबित है। साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि राँची विश्वविद्यालय द्वारा 2,119 पेंशनरों का भी भुगतान होता है, जो न केवल राज्य में एवं राज्य के बाहर रहते हैं अपितु कुछ पेंशनर विदेश में भी रहते हैं, जिनका यूनिक आईडी प्राप्त करने में कठिनाई है। इसके अतिरिक्त कर्मियों के पीएफ, ग्रुप इंश्योरेंस एवं वेलफेयर फण्ड का अलग-अलग प्रबंधन विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाता है, जिसमें लेखा नियंत्रण में कठिनाई होगी। राँची विश्वविद्यालय के सदृश कोल्हान विश्वविद्यालय एवं विनोवा भावे विश्वविद्यालय द्वारा भी इस प्रकार की कठिनाई बतायी गयी है। अपर मुख्य सचिव,योजना-सह-वित्त ने कहा कि निश्चित रूप से जहाँ एक ओर डीबीटी आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति तथा अन्य विश्वविद्यालयों (कोल्हान एवं विनोवा भावे) द्वारा बतायी गयी समस्यायें भी प्रासंगिक हैं एवं उनका निराकरण आवश्यक है।

बता दें कि उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा पूर्व में वित्त विभाग की सहमति से अधिसूचना निर्गत की गयी थी, जिसमें पीएल खाता से राशि की निकासी कर राशि को विश्वविद्यालयों द्वारा अपने पास नगद रूप में अथवा बैंक खाते में जमा नहीं करने का उल्लेख किया गया था।

 

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