लालू-परिवार पर आरोपों के मुद्दे पर मोदी को बहस के लिए राजद की चुनौती

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निशिकांत सिंह.पटना.लालू-परिवार पर अवैध संपत्ति को लेकर भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने सुशील मोदी पर पलटवार करते हुए उन्हें झूठा व फरेबी बताया.साथ ही मनोज झा ने सुशील मोदी को इस पर बहस करने की चुनौती भी दी.उन्होंने कहा कि सुशील मोदी कहें तो गांधी मैदान या भाजपा के प्रदेश कार्यालय में ही बहस कर ले और सिद्ध करे कि क्या दस्तावेज में गलत है.मनोज झा ने सफाई देते हुए कहा कि तेजस्वी ने आईपीएल खेलकर अपनी संपत्ति अर्जित की है.

राजद कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मनोज झा ने कहा कि सुशील मोदी ने जो भी कागज़ हवा में लहराए हैं बीते दिनों वो सब हमने ही बेहद ही ईमानदारी से प्रक्रियाओं का पालन करते हुए competent authority को सौंपे हैं. हमारे द्वारा प्रदत्त जानकारियों को अफवाह और फरेब की भाषा से बोलने में उन्होंने महारत हासिल की है. मनोज झा ने कहा कि  Delite Marketing कम्पनी को लेकर भी उन्होंने अनाप शनाप और अनर्गल बयान दिए.company के निर्माण का वर्ष तक गलत बता दिया.बेनामी/ फर्जी और ना जाने क्या क्या संज्ञा और विशेषण ले आये. मोदी तो वित्त मंत्री रहें है बिहार सरकार में. company, शेयर होल्डिंग और फाइनेंसियल transactions की अगर इतनी भी जानकारी नहीं हैं तो उनसे क्या कहें. एक अदद माफ़ी तो बनती ही उस अवाम के नाम जिसकों उन्होंने गुमराह करने की कोशिश की है.
मनोज झा ने कहा कि सुशील मोदी की राजेंद्र नगर के सड़क संख्या 13 पर एक आलिशान महलनुमा घर की इनदिनों काफी चर्चा है.सोहना रोड गुडगाँव पर भी रियल एस्टेट के कई अनोखे नमूने आ रहे हैं.उसके ‘बेनामी’ तार नामी लोगों से जुड़े हैं. ये हम नहीं कह रहे भाजपा के ही कुछ लोग बता रहें हैं. Banglore/Mumbai में BMW 7/ऑडी सीरीज में कौन घूम रहा है? एक व्यापक जांच तो इनकी भी होनी चाहिए.साथ ही कहा कि  उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड के निदेशक और shareholders को एक तरह का ‘कवर’ मानते हैं. कई सारे businessmen के आड़ में कुछ तो हो रहा है जिसकी पर्देदारी है.हम तो इस company के सभी निदेशकों की जांच पड़ताल की मांग करेंगे. हम तो यह मांग करते हैं की बेनामी transcation और deals पर कठोर से कठोर कानून लाया जाये.

पहली चीज जो स्पष्ट होनी चाहिए की लालूजी या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने जब भी कोई ज़मीन खरीदी तो वो उस वक़्त के कलक्टर द्वारा तय सर्किल रेट पर तमाम प्रक्रियाओं का पालन करते हुए खरीदी. फिक्स्ड सर्किल रेट के transaction की  संपुष्टि माननीय सर्वोच्य न्यायालय भी करता है. और हाँ अब करोड़ों वाली बात….फ़र्ज़ कीजिए मैंने एक ज़मीन का टुकड़ा 50 हज़ार में सन 1991 में खरीदा और आज 26 वर्ष बाद उसकी कीमत 25 लाख रूपये हो गए जिसके पीछे अर्थ तंत्र और व्यवस्था के कई कारक हैं हम सब जानते हैं. अगर आप इसे घोटाला कहेंगे तो कोई भी सामन्य और औसत बुद्धि का आदमी आपकी समझ पर ठहाके मारकर हंसेगा.सुशील मोदी ने मनगढ़ंत आरोप मढ़ा है. सन 2012 के आयकर कानून  के संशोधन के अनुसार यह संभव ही नहीं क्योंकि ऐसा करने पर दंड का प्रावधान है.

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