एम्स पटना ने किया बिहार का पहला सफल लीवर प्रत्यारोपण
पटना | सुधीर मधुकर – एम्स पटना ने बिहार का पहला सफल लीवर प्रत्यारोपण कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस कार्य का नेतृत्व एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक डॉ. ब्रिगेडियर राजू अग्रवाल ने किया। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने संस्थान में अत्याधुनिक प्रत्यारोपण सेवाओं की शुरुआत को संभव बनाया। लगभग दो दर्जन विशेषज्ञों की बहु-विषयक टीम ने मिलकर इस सफलता को अंजाम दिया।
डोनर त्रेता देवी को श्रद्धांजलि और आभार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. अग्रवाल ने सबसे पहले समस्तीपुर की ब्रेन डेड डोनर त्रेता देवी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने साहसपूर्वक अपना लीवर, कॉर्निया और किडनियां दान कर कई लोगों को नया जीवन दिया।
उन्होंने कहा कि, “एक लीवर डोनर के सभी अंगों से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है।”
साथ ही उन्होंने आम जनता से अपील की कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए ताकि जरूरतमंदों की जान बचाई जा सके।
योजना और तैयारी में प्रमुख भूमिका
लीवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम की रूपरेखा और व्यवस्थापन पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. जी. के. पाल और डॉ. सौरभ वस्नैय के सहयोग से संभव हुआ। उनकी रणनीतिक योजना और समर्पण ने इस परिवर्तनकारी प्रक्रिया को गति दी।
जटिल सर्जरी का सफल संचालन
यह जटिल प्रत्यारोपण सर्जरी एम्स पटना के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग द्वारा सावधानीपूर्वक की गई। टीम में शामिल थे –
- डॉ. उत्पल आनंद (विभागाध्यक्ष)
- डॉ. कुनाल परसर
- डॉ. बसंत नारायण सिंह
- डॉ. किसलय कांत
उन्होंने नई दिल्ली के साकेत स्थित सीएलबीएस मैक्स अस्पताल के प्रसिद्ध प्रत्यारोपण दल के साथ मिलकर कार्य किया, जिसका नेतृत्व डॉ. सुभाष गुप्ता ने किया।
टीम वर्क और समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण
यह सफलता असाधारण टीम वर्क और अंतरविभागीय सामंजस्य का उदाहरण है।
एनेस्थीसियोलॉजी विभाग, जिसका नेतृत्व डॉ. उमेश भदानी, डॉ. रजनीश कुमार, डॉ. कुनाल सिंह, डॉ. अभुदय कुमार और डॉ. नीरज कुमार ने किया, ने ऑपरेशन और बाद की सुरक्षा सुनिश्चित की।
मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी टीम (डॉ. रमेश कुमार, डॉ. सुधीर कुमार) ने विशेषज्ञ देखभाल दी।
रेडियोलॉजी विभाग से डॉ. राजीव प्रियदर्शी ने इमेजिंग सहायता प्रदान की, जबकि ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. अनिल कुमार ने मृत अंगदान की लॉजिस्टिक व्यवस्था का समन्वय किया।
अन्य विभागों का योगदान
पैथोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम – डॉ. पुणम भदानी, डॉ. तरुण कुमार और डॉ. सुरभि – ने रोग-निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. बंकिम ने आवश्यक रक्त उत्पाद उपलब्ध कराए।
डॉ. उत्पल आनंद ने कहा कि यह उपलब्धि एम्स पटना की उन्नत लीवर देखभाल सेवाओं के विस्तार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सहयोग और समर्पण से मिली सफलता
इस उपलब्धि में निवासी डॉक्टरों, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर जिनिल राज, प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ, ऑपरेशन थिएटर टीम और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों का योगदान सराहनीय रहा। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने सफलता को सुनिश्चित किया।
मरीजों के लिए बड़ी राहत
इस सफलता के साथ एम्स पटना बिहार में लीवर प्रत्यारोपण का अग्रदूत बन गया है। अब राज्य और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को इस तरह की सर्जरी के लिए दूसरे राज्यों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
खर्च और सरकारी सहायता
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जहां अन्य जगहों पर लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च 30–40 लाख रुपये तक होता है, वहीं एम्स पटना में यह लगभग 14 लाख रुपये में संभव है।
बीपीएल परिवारों को 90 प्रतिशत तक छूट दी जाती है।
इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों से विभिन्न प्रकार के अनुदान और सहायता भी उपलब्ध हैं। डोनर को भी सभी प्रकार की मेडिकल सुविधाएं दी जाती हैं।
निष्कर्ष
यह उपलब्धि न केवल बिहार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि अंगदान के महत्व को भी उजागर करती है। यदि लोग जागरूक हों, तो एक डोनर से कई जीवन बचाए जा सकते हैं।