भेदभाव एवं उपेक्षापूर्ण रवैया से परेशान स्वास्थ्य संविदाकर्मी

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contract workers

संवाददाता.पटना.स्वास्थ्य संविदा कर्मियों को सभी स्तर पर पदाधिकारियों के द्वारा भेदभाव एवं उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये जाने का आरोप बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने लगाया है।संघ ने इस आशय की सूचना मुख्यमंत्री,स्वास्थ्य मंत्री सह उपमुख्यमंत्री, मुख्य सचिव,अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग और अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग देते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर संविदा कर्मियों को न्याय नहीं मिला तो बाध्य होकर सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार किया जाएगा।
      बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह व अध्यक्ष अफरोज अनवर ने एक संयुक्त बयान में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बिहार प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत पूरे बिहार में हजारों की संख्या में संविदा कर्मी कार्यरत हैं। वरीय पदाधिकारियों के द्वारा संविदा कर्मियों को प्रायः यह बोल दिया जाता हैं कि तुम लोग बंधुआ मजदूर हो। दो मिनट में तुम लोगों की संविदा समाप्त कर देंगे। साथ ही बैठक हो या निरीक्षण के दौरान अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग भी पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। जिलों में कार्यरत महिला स्वास्थ्य संविदा कर्मियों का विशेष अवकाश से वंचित सक्षम पदाधिकारी के द्वारा किया जाता रहा है।
संघ के अनुसार संविदा कर्मियों का स्थानांतरण कर दिया जाता हैं।जबकि संविदा कर्मी अल्प वेतनभोगी है। पूर्व में भी संघ के पत्रांक 31 दिनांक 31/ 05/2023 के माध्यम से कार्यपालक निदेशक , राज्य स्वास्थ्य समिति,बिहार ,पटना को अवगत कराया जा चुका है।सामान्य प्रशासन विभाग के पत्रांक 4618 दिनांक 14/12/ 2020 में भी निर्धारित कार्य अवधि के बाद भी छुट्टी के दिनों में कार्य करने एवं देर संध्या तक कार्य करने को विवश किया जाता है। सभी कार्य संविदा कर्मियों पर जबरन थोप दिया जाता है कार्य कराने की जिम्मेवारी संस्था के प्रधान से नही पूछकर प्रत्येक स्तर पर संविदा आधारित प्रबंधकों से की जाती है अन्यथा अनुशासनहीनता मानकर भुगतान पर रोक लगा दिया जाता हैं। साथ ही संविदा मुक्त कर देने की धमकियां दी जाती हैं। प्रताड़ना की स्थिति यह है कि कुछ एक जिलों में वहां के जिला स्वास्थ्य समिति के स्तर से प्रतिदिन सिर्फ संविदा कर्मचारियों की उपस्थिति पंजी की छाया प्रति की मांग की जाती है।इससे संविदा कर्मचारियों के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। क्योंकि उन्हें लगता है कि सारे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन भी उन्हीं के द्वारा किया जाता है और प्रताड़ना भी उन्हीं को झेलना पड़ता है। क्योंकि नियमित कर्मचारियों की उपस्थिति की मांग कभी नहीं की जाती है।
संघ के नेताओं का कहना है कि इस स्थिति में नियमित कर्मचारी आए दिन सभी संविदा कर्मियों का मजाक उड़ाते हैं क्योंकि उन्हें न तो बायोमेट्रिक की चिंता है न नियमित उपस्थिति की चिंता। जबकि स्वास्थ संविदा कर्मियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।संघ ने मांग की है कि सरकार द्वारा संबंधित विभाग को निर्देश दिया जाए की स्वास्थ्य संविदा कर्मी के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया बंद किया जाए। दोनों की कार्य क्षमता एक है इस तरह की भेदभावपूर्ण रवैया संविदा कर्मियों के साथ किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी  होने के कारण विवश होकर शोषण के शिकार होते हैं।
संघ के नेताओं का कहना है कि हम बिहार के तमाम संविदा कर्मी अपनी मर्जी से संविदा आधारित सेवा स्वीकार नहीं किये हैं। जबकि बिहार सरकार एवं भारत सरकार की दोहरी निति के कारण नियमित नियुक्ति नहीं होने के कारण मजबूरीवश सेवा स्वीकार किये है।सरकार द्वारा संबंधित विभाग को निर्देश दिया जाए की स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया बंद किया जाए।क्योंकि भारत के संविधान मे समानता का अधिकार सभी को प्राप्त है जबकि नियमित एवं संविदा कर्मियों दोनों की कार्य क्षमता एक ही है। इस तरह की भेदभावपूर्ण रवैया से स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के कार्य क्षमता, मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

 

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