मछली पालकों के सहयोग समितियों को मिलेगी आर्थिक मदद- उपमुख्यमंत्री

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संवाददाता.पटना. विश्व मात्स्यिकी दिवस  के अवसर पर ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हएु उपमुख्यमत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत 462 मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद करने हेतु वित्त विभाग की सहमति से एन.सी.डी.सी. ने 257 करोड़ रू0 की योजना तैयार की है। केन्द्र द्वारा डेयरी एवं मत्स्य उत्पादन हेतु आधारभूत संरचना के विकास के लिए 7522 करोड़ रू0 से एक कोष का गठन भी किया गया है। उन्होंने केन्द्रीय बजट में किये गये घोषणा के अनुरूप मत्स्यपालकों को सरकारी बैंकों से 4 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने की सुविधा उपलब्ध कराने की केन्द्र से अपील की।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में मात्र 2.79 लाख मि0टन मछली का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर दोगुना से अधिक 5.87 लाख मि.टन हो गया। तृतीय कृषि रोड मैप के तहत 8 लाख मि0टन मछली उत्पान का लक्ष्य है। पिछले वर्ष बिहार से 32 हजार मि.टन मछली नेपाल सहित भारत के विभिन्न राज्यों में भेजी गई है। वर्तमान में बिहार में प्रतिव्यक्ति मछली की उपलब्धता 8.79 कि.ग्रा. प्रतिवर्ष है जबकि राष्ट्रीय औसत 10 कि.ग्रा. है।

बिहार में पहली बार किशनगंज में भी मात्स्यिकी महाविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है, जहाँ 32 लोगों ने नामांकन भी कराया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-05 में मात्र 34 करोड़ मछली बीजों का उत्पादन हुआ था जो 116 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2017-18 में 74 करोड़ हो गया। वर्ष 2004-05 में 17 करोड़ मत्स्य अंगुलिलकाओं का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2017-18 में 37 करोड़ हो गया। वर्तमान में बिहार में 125 मत्स्य बीज हैचरी कार्यरत है।

 

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