कामनाओं का जितना दमन करेंगें उतना अच्छा-पंडित कौशिक

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संवाददाता.पटना.बाबा भीखमदास ठाकुरबाड़ी में भागवत पुराण कथा वाचन के चौथे दिन पंडित विप्लव कौशिक ने कामोपभोग से संभव नहीं है कामना की तृप्ति पर रोचक तरीके से प्रकाश डाला।

पंडित विप्लव कौशिक ने कथा वाचन के दौरान बताया कि अपनी कामनाओं का हम जितना दमन करेंगें उतना ही अच्छा है।ययाती को स्वंय घृणा हुई और अपने पुत्र की युवा अवस्था वापस कर शिक्षा (उपदेश) दिया।ययाती कहतें हैं- माता के समान,बहन के समान,पुत्रियों के समान,पुत्रबहु के समान के समान आदरणीय नारियों के साथ भी बिना किसी विशेष प्रयोजन के बड़े से बड़े विद्वान व ब्रह्मचारी को भी एकान्त में अधिक समय नहीं देना चाहिए।क्योंकि इन्द्रियों का समूह इतना बलवान है कि बड़े से बड़े विद्वान को भी पथ भ्रष्ट होने में देरी नहीं लगती है।

उन्होंने ययाती प्रसंग की शास्त्रसम्मत चर्चा करते हुए बताया ययाती ने अपने छोटे बच्चे पुरू की युवा-अवस्था को लेकर हजारों वर्षों तक  कामोपभोग किया,लेकिन वासना तृप्त नहीं हुई।जलती हुई अग्नि पर अगर हम एक चम्मच घी भी डालते रहेंगें तो कभी अग्नि नहीं बुझ पाएगी।इसी प्रकार शरीर जीर्ण हो जाता है मगर वासना कभी जीर्ण नहीं होती।

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