नीतीश सरकार की तुष्टिकरण नीति से भड़क रहे हैं दंगे-भाजपा

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निशिकांत सिंह.पटना. भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि राज्य सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति और राजद नेता मो.शहाबुद्दीन की जमानत के बाद एक खास वर्ग के उनके समर्थकों के बढ़े मन एवं जमानत में राज्य सरकार के सॉफ्ट कार्नर से नरम पड़े नौकरशाहों के रवैये के कारण प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे भड़क रहे हैं. हाल के दिनों में घटी दर्जनों घटनाओं के बाद बहुसंख्यकों के प्रति एकपक्षीय कार्रवाई से लोगों में गुस्सा चरम पर है.

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डेय एवं प्रतिपक्ष के नेता डा. प्रेम कुमार के नेतृत्व में पार्टी के एक शिष्टमंडल द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में ये आरोप लगाए गए हैं. आज राजभवन में राज्यपाल रामनाथ कोविन्द से भाजपा का शिष्टमंडल ने मुलाकात की और उन्हें तीन पेज का ज्ञापन दिया.ज्ञापन में सूबे के एक दर्जन से अधिक जिलों में दुर्गापूजा के बाद साम्प्रदायिक सदभाव बिगड़ने की घटनाओं की चर्चा करते हुए कहा गया है कि इस प्रकार की घटनाओं और एहतियातन कार्रवाई के नाम पर बहुसंख्यकों को बुरी तरह प्रताड़ित करने वाले शाहाबाद रेंज के डीआईजी मो.रहमान, किशनगंज के एसडीओ शफीक आलम और मधेपुरा के डीएसपी रहमत अली के अविलंब तबादला कर उनके खिलाफ दंगा उकसाने की कार्रवाई करने की मांग की गई है. साथ ही दंगा प्रभावित जिलों के डीएम, एसपी के खिलाफ कार्रवाई, सभी घटनाओं की पुलिस मुख्यालय स्तर से जांच करने, निर्दोश लोगों पर हुए मुकदमों की वापसी और भुक्तभोगियों की क्षति का आकलन कर उसकी क्षतिपूर्ति करने की मांग की गयी.

राज्यपाल से मिले प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डेय एवं बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता डा. प्रेम कुमार के अलावा विधान सभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरूण कुमार सिन्हा, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद विनोद नारायण झा, उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता डा. संजय मयूख, विधान पार्षद,  प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक मिथिलेश तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष व प्रवक्ता उषा विद्यार्थी, प्रदेश महामंत्री विनय सिंह, प्रवक्ता एवं विधायक विजय कुमार सिन्हा, विधायक नीतीन नवीन, विधायक नीरज कुमार बब्लू, प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर, अजफर समशी, डा.योगेन्द्र पासवान, प्रदेश मंत्री व पूर्व विधायक चितरंजन कुमार, प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह एवं राजीव रंजन आदि शामिल थे. राज्यपाल श्री कोविन्द ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को सुनने के बाद आश्वत किया कि वे अपने स्तर से सभी मामलों की जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करेंगे.

ज्ञापन में कहा गया है कि दुर्गापूजा के समय से राज्य के एक दर्जन से अधिक जिलों में साम्प्रदायिक तनाव उभरा है जो कमोवेश अब तक बरकरार है. एक विशेष समुदाय के उपद्रवियों ने कई दर्जन वाहनों को फूंक डाला है और सैकड़ों दुकानों को लूट लिया है. पुलिस की एकतरफा कार्रवाई से बहुसंख्यकों में भारी क्षोभ है. विगत तीन माह से राज्य में साम्प्रदायिक माहौल खराब हो रहा है. गिरफ्तार बहुसंख्यक समाज के लोगों की बेरहमी से पिटाई की जा रही है. पूर्वी चम्पारण, मधेपुरा, पटना, किशनगंज, पूर्णिया, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सिवान, औरंगाबाद, गया, दरभंगा, भोजपुर और मुजफ्फरपुर सहित कई जिले साम्प्रदायिक तनाव की चपेट में हैं. इससे पूर्व छपरा के मकेर और नालंदा जिले में साम्प्रदायिक हिंसा की घटना घट चुकी है. पिछले पांच दिनों से भोजपुर का आधा भाग हिंसा की आग में जल रहा है. पीरो में अघोषित कर्फ्यू की स्थिति है. उपद्रवग्रस्त तमाम इलाके में मोबाइल और इंटरनेट सेवा ठप है. आरा-सासाराम के बीच सड़क परिवहन सेवा बंद है तो रेल गाड़ियों के परिचालन को भी अनियमित किया गया है.

भाजपा के अनुसार ऐसा महसूस होता है कि मो.शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई में राज्य सरकार के सॉफ्ट कॉर्नर के कारण एक खास वर्ग के गुर्गों का मन बढ़ गया है और पुलिस व प्रशासन भी उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने या उनकी गिरफ्तारी में हिचक रहा है तथा एकपक्षीय बहुसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. भोजपुर जिले के पीरो में भड़की घटना के बाद शाहाबाद रेंज के डीआईजी मो. रहमान आमजनों की एकपक्षीय कार्रवाई से लोग सिहरे हुए हैं. मधेपुरा के बिहारीगंज में भड़के दंगे में डीएसपी रहमत अली की भूमिका एकपक्षीय रही. पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया और सुगौली में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए उपद्रव के बाद पुलिस ने एक अल्पसंख्यक के घर से 50 पेट्रोल बम बरामद किया है. लेकिन ऊपर के दबाव के कारण पुलिस उसका नाम बताने से हिचक रही है. औरंगाबाद जिले के वारूण प्रखंड के जोगिया और गोह प्रखंड के उपहारा में साम्प्रदायिक तनाव उभरा. पटना जिले के बख्तियारपुर में पूजा मंडप में विवादित पर्चा साटा गया. किशनगंज में खगड़ा सर्किट हाउस के निकट काली मंदिर की सेटरिंग पूरा होने के बाद रात्रि में पहुंचे सिविल एसडीओ शफीक आलम ने ताजिया जुलूस के दौरान उभरे तनाव की खुन्नस महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार कर उतारा. खुन्नस का कारण था ताजिया के जुलूस में पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाना और इसकी शिकायत जिलाधिकारी से किये जाने पर डीएम ने एसडीओ शफिक को ही जांच का जिम्मा सौंपा जो स्वयं ताजिया जुलूस में लाठियां भांज रहे थे. बॉडीगार्ड के सर्विस रिवाल्वर से फायरिंग की. जूता पहन कर मंदिर में प्रवेश कर गये. इस घटना के खिलाफ बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया. पुलिस ने बहुसंख्यक समाज के 6 लोग को गिरफ्तार कर लिया है. एसडीओ शफीक आलम पिछले पांच वर्षों से किशनगंज में पदस्थापित हैं.

ज्ञापन में कहा गया है कि हालात ऐसे हो गये हैं कि अब पटना के बेऊर कारा में बंद आतंकी भी सुरक्षा जवानों पर हमला करने लगे हैं. पहले राजधानी पटना की सड़कों पर पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगे तो अब पटना और बोधगया सीरियल ब्लास्ट के आरोपी और बेऊर केन्द्रीय कारा में बंद मो. इम्तियाज अपने दस सहयोगियों के साथ पाकिस्तान जिन्दाबाद का न केवल नारा बुलंद किया बल्कि सैप के जवान पर हमला भी किया. बिहार में सन् 2005 में एनडीए की सरकार का गठन हुआ तो साम्प्रदायिक दंगों पर काबू पाया गया. उस वक्त यह संख्या आठ हजार को पार नहीं कर पायी लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों के भीतर राज्य में साम्प्रदायिक दंगे में अप्रत्याषित वृद्धि हुई है और यह 20 से 25 हजार के बीच पहुंच गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि जहां-जहां साम्प्रदायिक दंगे होंगे वहां के डीएम-एसपी के खिलाफ कार्रवाई होगी. लेकिन आज तक ऐसा हुआ नहीं.

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