आपसी समन्वय के साथ पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनायें- मुख्यमंत्री

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निशिकांत सिंह.पटना.  बिहार के नवनिर्वाचित जिला परिषद, पंचायत समिति के जन प्रतिनिधियों एवं ग्राम पंचायतों के मुखिया के एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्य सचिवालय स्थित सभागार से वेबकास्टिंग के माध्यम से संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सभी नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई देता हूं. आप सभी को एक नया दायित्व मिला है, आप अपने कर्तव्यों के निर्वहन में जरूर कामयाब होंगे.

उन्होंने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के बाद सभी पंचायत प्रतिनिधियों को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है. इस संशोधन के उपरान्त पंचायतों/नगर निकायों के लिये ससमय निष्पक्ष चुनाव कराने का प्रावधान किया गया था. इस संशोधन के उपरान्त बिहार में यह चौथा निर्वाचन है. 2001 में पहला पंचायत चुनाव हुआ था. 2006 में हमलोगों ने बिहार पंचायती राज कानून में संशोधन किया तथा पंचायत चुनाव आरक्षण एवं अन्य प्रावधान के अनुरूप किया गया. संविधान में स्थानीय निकायों के लिये एक तिहाई सीट महिलाओं के लिये आरक्षित करने का उल्लेख है, इसमें संशोधन करते हुये बिहार में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया गया. 2006 में विभिन्न स्तर पर महिला उम्मीदवार इससे ज्यादा की संख्या में चुनकर आयी. उस वक्त की गणना के अनुसार 56 प्रतिशत महिलायें चुनकर आयी. इससे एक नया सामाजिक परिवर्तन आया.महिलायें समाज में आगे आयीं तथा लोगों के अधिकार के लिये लड़ाई में शामिल हुयीं. शुरू में लोग इसका मजाक उड़ाते थे लेकिन धीरे-धीरे समाज में लोगों ने इसके महत्व को महसूस किया तथा समझा कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उठाया हुआ ठोस कदम है. लोगों ने इसको स्वीकार कर लिया है, आज इसका प्रभाव इतना है कि कई राज्यों ने इसको अपनाया है. उन्होंने सभी नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को पूरी निष्ठा से अपने दायित्वों को निभाने को कहा. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था मजबूत हो, यह मेरा उद्देश्य है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनाव में 75 प्रतिशत नये लोग निर्वाचित होकर आये हैं. उनको मैं अपनी ओर से विशेष शुभकामना देता हॅू. आपके जीवन में एक नया अध्याय जुड़ेगा. लोगों की समस्याओं को सुनें तथा उसके समाधान के लिये प्रयासरत रहें. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का कोई स्तर किसी के अधीन नहीं है. तीनों स्तर की संस्थायें स्वायत हैं. आपस में समन्वय अगर रहे तो उसका बेहतर परिणाम होता है. मुख्यमंत्री ने सभी को समन्वय के साथ कार्य करने के लिये कहा ताकि पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों की असामयिक मृत्यु, दुर्घटना से शिकार आदि होने पर बीमा योजना की मांग की गयी है. राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकाय के प्रतिनिधियों को कार्यकाल के दौरान आकस्मिक मृत्यु होने पर पांच लाख रूपये अनुग्रह अनुदान देने का प्रावधान किया गया है. यह 1 अप्रैल 2015 के प्रभाव से लागू है. उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम 2006 के द्वारा सभी पंचायत प्रतिनिधियों को लोकसेवक घोषित किया गया है. पंचायतों को आवंटित होने वाली राशि के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायतों को विभिन्न स्रोत से राशि प्राप्त होती है. केन्द्र सरकार से वित आयोग की सिफारिश के अनुसार विभिन्न योजनाओं के लिये राशि प्राप्त होती है. परन्तु देखा जा रहा है कि केन्द्र द्वारा पंचायतों को आवंटित होने वाली राशि में भारी कटौती की गयी है. यह पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिये अनुकूल नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था सता का विकेन्द्रीकरण. पंचायती राज संस्थाओं के अधिकार में वृद्धि होनी चाहिये.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा पांच खण्डों में प्रकाशित प्रशिक्षण पुस्तकों का विमोचन एवं बिहार ग्राम स्वराज योजना सोसायटी के वेबसाइट एवं ट्रेनिंग एमआईएस का लोकार्पण किया गया. उक्त कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, कृषि मंत्री राम विचार राय, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव/सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

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