बिहार पहला राज्य, जिसने डीआरआर सेनडाई फ्रेमवर्क लागू किया -चंद्रशेखर

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निशिकांत सिंह. पटना.बिहार पहला राज्य है जिसने आपदा जोखिम न्यूनीकरण  हेतु जारी सेनडाई फ्रेमवर्क को लागू कर दिया है और हमें विश्वास है कि 15 वर्षो में हम इसमें अव्वल भी बनकार रहेंगे।सूचना भवन के ‘संवाद’ कक्ष में आपदा प्रबंधन विभाग के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री आपदा प्रबंधन प्रो. चंद्रशेखर  ने उपर्युक्त  बाते कहीं। मंत्री ने विकास कार्यों तथा समुदायों की सुरक्षा हेतु राज्य सरकार की तत्परता एवं कटिबद्धता का उदाहरण देते हुए बताया कि कल आँधी वज्रपात में जिन 13 केजुअल्टी का मामला प्रतिवेदित हुआ, वहाँ तुरंत राहत राशि पहुँचाई गई है।

इसके पूर्व प्रधान सचिव व्यासजी ने 15 वर्षों के आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप के संदर्भ में बताया कि इसपर द्रुतगति से कार्य हुआ है।  माह अप्रैल में कैबिनेट ने स्वीकृति दी और माह मई में संकल्प निर्गत कर इसमें जिन विभागों की संलग्नता सुनिशित की गई हैं, उनके के लिए 2 दिनों के वर्कशॉप 20 एवं 21 मई को किए जाएंगे। व्यास जी ने डीआरआर रोडमैप डेवलपमेंट के कार्यान्वयन, इसके गठन बिहार के डिजैस्टर रिस्क प्रोफाइल मैप, उक्त रोडमैप  के फाउंडेशन एलीमेंटस, टार्गेट्स, माइलस्टोंस, विभागों द्वारा  किए जाने वाले विशिष्ट कार्यो तथा फिर प्रत्येक स्तर पर इसके अनुश्रवण-मूल्यांकन के सुदृढ़ ढाँचे पर प्रकाश डाला। इस आलोक में गत 13-14 मई को इसके फर्स्ट कॉन्फ्रेंस का मुख्यमंत्री द्वारा  उद्घाटन तथा आपदा प्रबंधन पर स्टेटस पेपेर के लोकर्पण की जानकारी देते हुए व्यासजी ने बताया कि उस कॉन्फरेंस में 48 पेनालिस्टस थे 550 पार्टिशिपेंटस थे और 17 सत्रों में डिस्कशन्स का दौर चला। विशेषज्ञों ने 18 पेपर्स सबमिट किए और इसके कंपेडियम का संग्रह किया। तव जाकर अपदा प्रबंधन मंत्री ने पटना डिक्लेयरेशन का लोकार्पण किया।

बिहार के डिजैस्टर प्रोफाइल के संदर्भ में व्यासजी ने बताया कि यहाँ एक साथ बाढ़ भूकम्प, सुखाड़ यानी कई तरह की आपदाओं का प्रकोप पूरे बिहार में बिखरा पड़ा है। केन्द्र की अधिसूचित सूची के मुकाबले बिहार सरकार की अधिसूचित सूची में आपदा के व्यापक पहलुओं पर उन्होंने प्रकाश डाला। जारी रोडमैप के टार्गेट्स के संबंध में उन्होंने बताया कि 15 वर्षां के बाद अर्थात 2030 तक प्राकृतिक आपदाओं के कारण मौत 75प्रतिशत  तक कम करने है, आपदा संबंधी परिवहन की अव्यवस्थाजन्य मौत के भी  आँकड़े घटाने हैं,  बिहार में आपदा प्रभावित लोगों के आँकड़े 50प्रतिशत तक घटाने हैं तथा बिहार मे आपदाजन्य आर्थिक क्षति को भी 50प्रतिशत तक घटाना है। व्यासजी ने उक्त रोडमैप लागू करने हेतु विभिन्न विभागों की सहभागिता हेतु उनके लिए निर्दिष्ट कार्यबिंदु के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि  सबसे पहले आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कैपेसिटी बिल्डिंग का कार्य होगा वह गाँव से लकर शहर तक क्षमता संबर्धन के पहलुओं पर कार्य करेगा।

इस संदर्भ में विभिन्न विभागों के कार्यों पर फोक्स करते हुए उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं पर आपदा के जोखिम का आकलन कर तदनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जाएँगे,  कृषि विभाग द्वारा राज्य के सूखा प्रभावित जिलों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम के विकास, जल-मृदा संरक्षणादि तमाम विभिन्न उपाय  संबोधन के अंत में व्यास जी ने रोडमैप के क्रियान्वयन के अनुश्रवन एवं मूल्यांकन के संदर्भ में बताया कि कमिश्नर, कलक्टर, एस0डी0ओ0, बी0डी0ओ0 से लेकर और निचले स्तर तक इसके अनुश्रवण एवं मूल्यांकन का कार्य सतत् चलता रहेगा। उक्त सम्मेलन के दौरान संयुक्त सचिव बीरेन्द्र कुमार मिश्र, ओएडी गगनजी समेत आपदा प्रबंधन विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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