मजदूर दिवस पर बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदाकर्मी संघ करेगा सेमिनार

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contract workers

संवाददाता.पटना.आगामी 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ द्वारा  सेमिनार का आयोजन किया गया है।सेमिनार में बिहार में जन स्वास्थ्य के सूचकांकों में अप्रत्याशित वृद्धि एवं सुधार में प्रबंधकीय कैडर के कर्मियों की अहम भूमिका पर परिचर्चा की जाएगी।
इसकी जानकारी देते हुए बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के सचिव ललन सिंह ने बताया कि बिहार प्रदेश में प्रबंधकीय कैडर के स्वास्थ्य कर्मियों एवं पदाधिकारियों द्वारा विगत 16 वर्षों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत अपना अंतर्मन से सेवा एवं कार्य कर रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य संविदा कर्मी के सतत प्रयास द्वारा किए गए कार्यो के कारण ही स्वास्थ्य विभाग का सभी कार्यक्रम सफल रहा है। यथा, कोविड-19 टीकाकरण, मातृ-मृत्यु दर, शिशु-मृत्यु दर में राष्ट्रीय औसत कम हुआ है।
   उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के बदौलत ही सरकार मिशन मोड के तहत सभी जिला अस्पताल को 60 दिन के अंदर कायाकल्प का लक्ष्य प्राप्त किया। बिहार में कई ऐसे जिला अस्पताल / सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र / प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कायाकल्प कार्यक्रम, इंक्वास की प्रमाणीकरण एवं लक्ष्य कार्यक्रम का प्रमाणीकरण किया गया है। प्रबंधकीय कैडर के कारण ही सम्भव हो पाया है।इसकी चर्चा आज दबी जुबान से सभी स्वीकार करते हैं कि संविदा कर्मियों के बदौलत परिवर्तन हुआ है। लेकिन ना जाने क्यों किसी मंच एवं पटल पर इसे बोलने से सभी घबराते रहे हैं। इसीलिए बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ, बिहार यह निर्णय लिया है कि 01 मई 2023 को मजदूर दिवस पर हम सभी प्रबंधकीय कैडर के मजदूर द्वारा जो 16 वर्षों से कार्य किया गया है, इसपर चर्चा की जाएगी।
श्री सिंह ने बताया कि इस प्रबंधकीय कैडर की भूमिका पर चर्चा में माननीय मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार, प्रमुख सचिव, बिहार सरकार, अपर मुख्य सचिव,कार्यपालक निदेशक,स्वास्थ्य विभाग एवं कई माननीय जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य व्यक्तियों को भी आमंत्रित करने का विचार किया गया है।बिहार के जन स्वास्थ्य सूचकांकों को जो लक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है, इन प्रबंधकीय कैडर के बदौलत राष्ट्रीय औसतन से कम करना एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने पर चर्चा किया जाएगा।प्रबंधकीय कार्यो का मान-सम्मान विगत 16 वर्षों से सम्पूर्ण रूप से नहीं दिया गया है। इस पर ही चर्चा का मुख्य मुद्दा एवं विषय होगा।

 

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