विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर केवल सौदेबाजी-राजद

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संवाददाता.पटना. राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने जदयू, भाजपा और लोजपा पर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर राजनीतिक सौदेबाजी और पैंतरेबाजी करने तथा समय-समय पर अपने राजनीतिक हित-लाभ को देखकर इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

राजद नेता ने कहा कि यदि इनलोगों की मंशा साफ होती तो 2000 से 2002 के बीच हीं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता। तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आग्रह पर 03 फरवरी, 2002 को पटना के गांधी मैदान की सभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन भी दिया था। पर दिल्ली वापस लौटने के क्रम में उन्हें इरादा बदलने का बाध्य किया गया।

02 अप्रैल, 2002 को पुनः बिहार विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार को भेजा गया। इसके पूर्व भी 25 अप्रैल 2000 को बिहार बिधानसभा द्वारा सर्वसम्मत प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था।केन्द्र में नीतीश जी और रामविलास जी प्रभावशाली मंत्री थे। वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता। उसी काल में यूपी से अलग होने पर उतराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।

राजद ने इस मांग को किसी दल विशेष का मांग न बनाकर बिहार की मांग बनाया था। सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रदेश के सभी दलों को इस माँग के साथ जोडा गया था।और इसी दृष्टि को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए बिहार के सभी दलों के सांसदों का एक समन्वय समिति भी बनाया गया था जिसके संयोजक नीतीश कुमार बनाये गये थे। पर नीतीश जी ने कभी समन्वय समिति की बैठक हीं नहीं बुलाई। इतना ही नहीं राजद के विशेष पहल पर 16 मई, 2002 को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के सवाल पर नियम 193 के तहत लोकसभा में जब चर्चा हो रही थी तो नीतीश जी अनुपस्थित थे। जबकि दूसरे प्रदेशों से आने वाले विभिन्न दलों के सांसदों ने बिहार का पक्ष लिया था।

2004 तक विशेष राज्य के दर्जे की मांग को अप्रत्यक्ष रूप से ठंडे बस्ते में रखने वाले नीतीश जी मुख्यमंत्री बनने के बाद इसे अपने राजनीतिक हित-लाभ के आधार पर इस्तेमाल करने लगे। बिहार के विकास से जुड़े मुद्दे का नीतीश जी ने न केवल जदयूकरण बल्कि नीतीशकरण कर विकास के मामले में भी राजनीति कर रहे हैं। जब-जब उनकी आत्मा जागती है वे इस सवाल को उठाते हैं और जब आत्मा सो जाती है तो इसे ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।

अभी फिर उनके द्वारा इस मांग को उठाया गया हैं इसबार उनके साथ रामविलास पासवान और सुशील मोदी जी भी साथ हैं। पर वे मांग किससे कर रहे हैं? केन्द्र में उनकी सरकार है। बिहार में डबल ईंजन की सरकार है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी बिहार विधानसभा चुनाव के समय बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज देने का वादा  किया था। यदि नीतीश जी, रामविलास जी और सुशील मोदी जी वास्तव में बिहार को विशेष राज्य के मुद्दे पर गंभीर हैं तो उन्हें चन्द्रबाबू नायडू की तरह स्पष्ट निर्णय लेना होगा अन्यथा लोगों को बेवकूफ बनाने का काम न करें।

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