तेजस्वी पर तकरार,जदयू-राजद आमने-सामने

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प्रमोद दत्त.पटना.उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर जदयू-राजद के बीच तकरार बढ गई है.जदयू कोर कमिटी की बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय लेने के बजाए गेंद राजद के पाले में यह कहकर डाल दिया गया कि तेजस्वी तथ्यों व साक्ष्यों के साथ जनता के सामने आएं.जदयू ने तेजस्वी को चार दिनों का समय दिया है.बैठक के बाद जदयू ने साफ कर दिया कि सिद्धान्तों के साथ समझौता नहीं कर सकते.जदयू के इस स्टैंड के बाद राजद नेताओं ने भी अपने तेवर सख्त कर लिए है.

राजद द्वारा कल तेजस्वी द्वारा इस्तीफा नहीं देने के निर्णय के बाद सबकी नजर जदयू की बैठक पर टिकी थी.पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ नीतीश कुमार ने मंगलवार को मंथन किया.इस मंथन में इस बात पर सहमति बनी कि अपराध व भ्रष्टाचार के मामले में जदयू अपनी नीति से समझौता नहीं करेगी.इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सख्त दिखे.उन्होने साफ कहा कि हम भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकते.बाद में प्रेस को बताया गया-इस मामले में सरकार अपना काम करेगी और कानून अपना.

बैटक के बाद पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि हमने जो लाईन पहले खिंची है उससे पीछे नहीं हटने वाले हैं.जिनपर आरोप लगे हैं वे स्वंय तथ्यों के साथ जनता को जवाब दें.जनमानस की भी यही अपेक्षा है.चार दिनों का उन्हें समय दिया गया है.उन्होंने कहा कि इससे पूर्व जदयू ने जीतनराम मांझी,रामाधार सिंह,रामानंद सिंह के मामले पर उदाहरण पेश किया है.

इधर चारा घोटाला में पेशी के बाद रांची से पटना लौटे लालू प्रसाद के आवास पर राजद नेताओं की गहमा गहमी बढी.राजद नेताओं ने जदयू के स्टैंड पर अपने गुस्से का इजहार किया.वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि इस्तीफा का सवाल कहां उठता है.मुन्द्रिका सिंह यादव,आलोक मेहता जैसे नेताओं ने भी साफ किया कि तेजस्वी इस्तीफा नहीं देगें.

प्रेक्षकों का मानना है कि राजद के स्पष्ट स्टैंड के बाद जदयू द्वारा चार दिनों का समय दिए जाने का मतलब साफ है कि जदयू अभी रक्षात्मक शैली अपना रहे हैं.तेजस्वी पर कार्रवाई का सीधा मतलब है गठबंधन में टूट और सरकार पर खतरा.चार दिनों का समय जदयू ने निर्णायक मंथन के लिए लिया है.क्योंकि अब मामला आर-पार का है.गठबंधन से बाहर आकर या तो चुनाव में जाएं या भाजपा के सहयोग से सरकार बचा लें.इसके अलावा एक विकल्प यह भी था कि कांग्रेस के समान नीतीश भी खुलकर राजद के साथ खड़ा हो जाएं और सरकार चलाते रहें जिसमें नीतीश की छवि धूमिल होने का खतरा था.इस विकल्प पर जदयू ने मंगलवार को निर्णय सुनाकर विराम लगा दिया है.यह लगभग तय माना जा रहा है कि तेजस्वी ने स्वंय इस्तीफे की पहल नहीं की तो नीतीश बर्खास्तगी की कार्रवाई करेंगें.

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