नीतीश दिन में ही “राग पीएम ख्वाब”अलापने में व्यस्त- नित्यानंद

740
0
SHARE

FB_IMG_1497362588859

संवाददाता.पटना. बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने नीतीश-सरकार में बदहाल की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में छात्र,किसान, नौजवान सभी परेशान हैं,शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट हो चुकी है, कानून-व्यवस्था की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है लेकिन रोमन सम्राट नीरो की तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिन में ही “राग पीएम ख्वाब” अलापने में व्यस्त हैं।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में श्री राय ने कहा कि बिहार में अपराधिक घटनाओं पर मुख्यमंत्री संज्ञान नहीं लेते.सोमवार, 12 जून को ही को मुख्यमंत्री के गृहजिले नालंदा में ड्यूटी से लौटते एक राजस्व कर्मी चंद्रभूषण की दिन-दहाड़े बस में गोली मार कर हत्या कर दी गई। भोजपुर में एक युवक की हत्या हुई। मुँगेर के जमालपुर में एक महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। पटना राजधानी क्षेत्र में पेट्रोल पंप कर्मी से लाखो रूपये लूट लिये गये। मुख्यमंत्री इन घटनाओं पर संज्ञान लेने की बजाय अपने आत्मप्रचार में व्यस्त हैं.यह हास्यास्पद है।

नीतीश कुमार का बिहार के बाहर कोई वजूद नहीं और बिहार में मर्सी पेटीशन पर सरकार चल रही है.उत्तर प्रदेश में अभी हाल ही में चुनाव संपन्न हुआ है जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। नीतीश कुमार जी ने अपने खासमखास लोगों को लाव लश्कर के साथ उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को खड़ी करने में लगाया था और दर्जनों सभायें कर रहे थे। लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव के ठीक पहले ऐन मौके पर मैदान छोड़कर भाग खड़े हुये क्योंकि उन्हें पता चल गया कि उनकी दाल नहीं गलने वाली है। क्या मुख्यमंत्री जी भूल गये कि 2012 के चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में अपनी किस्मत आजमाने गये थे और 403 सीटों पर जेडीयू ने चुनाव लड़ा था जिसमें सभी सीटों पर हारे और 400 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता के बीच भ्रमजाल फैलाकर चुनाव जीत गये लेकिन जेडीयू की हैसियत बिहार में आरजेडी से कम ही रही और आज लालू जी के सामने मर्सी पेटीशन देकर मुख्यमंत्री बने हुये हैं। नीतीश कुमार इससे पहले भी भाजपा की ताकत के बूते एवं समर्थन से मुख्यमंत्री बने हुये है। उत्तर प्रदेश में तो अभी तीन महीनें हुए है चुनाव संपन्न हुये अगर नीतीश कुमार जी इतने आश्वस्त हैं तो बिहार में विधानसभा भंग कर चुनाव करायें लेकिन उन्हें खुद पता है कि बिहार की जनता अब महागठबंधन के नाम पर झाँसे में नहीं आने वाली है। अभी हाल ही में दिल्ली में हुए एमसीडी चुनाव में नीतीश कुमार जी की पार्टी ने करोड़ो रुपये खर्च किये और खुद नीतीश कुमार दो दिन प्रचार करने मैदान में उतरे लेकिन क्या हश्र हुआ वो सभी को मालुम है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन महीने में किसानों से किया वादा निभाया । उत्तर प्रदेश की बात कर रहे हैं तो नीतीश कुमार जी जनता को यह क्यों नहीं बताते हैं कि बिहार में किसानों से धान व गेहूं खरीदने के लिए सरकार ने आजतक क्रय केन्द्र  नहीं खोले।यही कारण है कि बिहार भर में बिचौलिए किसानों को लूट रहे हैं। बिहार में किसानों से धान व गेहूं की खरीदारी नहीं हो रही है। वहीं यूपी की भाजपा सरकार ने 15 दिनों के अंदर ही लघु व सीमांत किसानों के कर्ज माफ कर दिए। अभी तक यूपी में 1630 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों के खाते में गेहूं क्रय के करोड़ों रुपए जमा कर दिए गए जबकि बिहार सरकार असफल है।

केन्द्र की राशि का विस्तार से चर्चा करते हुए श्री राय ने बताया कि17 विभागों के अभी तक खाते नहीं खुले।सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार सात निश्चय में हर घर तक नल पहुँचाने की योजना हवा-हवाई है जिसके लिये सरकार के पास न तो तैयारी है और न ही पॉलिसी फ्रेमवर्क है। बिहार सरकार की अकर्मण्यता के चलते कुल 182 योजनाओं की राशि शत् प्रतिशत सरेंडर हो गई।इस प्रकार बिहार सरकार न तो केन्द्र से मिले पैसे को खर्च कर पा रही है और न ही उसकी उपयोगिता सिद्ध कर पा रही है। नये वित्तीय वर्ष के पहले दो.तीन महीने में 17 विभागों में खर्च का खाता तक नहीं खुला यह घोर आश्चर्य की बात है। इन विभागों में शिक्षा,नगर विकास,कला एवं संस्कृति,सहकारिता,खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण,वित्त,उद्योग,आईटी,विधि,खान एवं भूतत्व,पिछड़ा एवं अति पिछड़ा,लघु जल संसाधन,पंचायती राज,एससी. एसटी, गन्ना उद्योग,परिवहन और पर्यटन विभाग है।नीतीश कुमार ने बिहार में बहुप्रचारित कृषि रोड-मैप बनाकर बिहार की कृषिक्षेत्र एवं किसानों का कायाकल्प करने का प्रोपोगंडा किया लेकिन इस मद में एलॉटेड राशि का भी बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया गया है। हमारा मानना है कि बिहार में नीतीश कुमार के संरक्षण में कृषि रोड-मैप बजट घोटाला हुआ है जिसके मद में जारी कि गई राशि को मिलीभगत से हजम कर लिया गया है और इस रोड-मैप का एक फीसदी काम भी जमीन पर नहीं दिखाई देता है।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने सिर्फ तीन सालों में कृषि एवं किसानों का कायाकल्प किया।नीतीश जी भी जानें प्रधानमंत्री ने सबसे पहले कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कर दिया। केंद्र सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी की जाए। किसानों की भलाई के लिये नई फसल बीमा योजना बनायी गई है जिसके बाद अब किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा के दौर में भी फसलों की बर्बादी पर चिंता करने की जरूरत नहीं रही। भारत के राज्यों के गन्ना उत्पादक किसानों का कई सालों से चीनी मिल मालिकों के ऊपर बकाया था। केंद्र सरकार की तरफ से 4,305 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी गयी जिससे 32 लाख किसानों को फायदा हुआ।

मोदी सरकार ने पिछले सालों में कई नीतिगत निर्णय लिये हैं जिनके परिणाम आशा के अनुसार आ रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट है। देश में खाद्य उत्पादों के उत्पादन और खुदरा बिक्री में भी 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट है।कई प्रकार के करों में भी छूट का प्रवाधान किया गया है।जनवरी 2017 तक देश में 42 मेगा फूड पार्कों पर विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा था। जनवरी 2017 तक 200 से कोल्ड चेन विकसित किये जा रहे थे। किसानों को हर स्तर पर सहयोग देकर मोदी सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का जो बीड़ा उठाया हैए उसे पूरा होने में कोई शंका नहीं है।

 

LEAVE A REPLY