उर्दू मात्र भाषा ही नहीं,इसमें बसी है पूरी तहजीब-राज्यपाल

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निशिकांत सिंह.पटना. हमारे समाज में अदब की बहुत अहमियत है।खास तौर से उर्दू अदब को चार चाँद लगाने में किसी एक मजहब के लेखकों का योगदान नहीं, बल्कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख सबने अपने लेखन से उर्दू को समृद्ध किया है।उर्दू जुबान पूरी दुनियाँ को प्रेम का पैगाम देती है।उर्दू एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि इसमें हमारी पूरी तहजीब बसी हुई है।इस भाषा को जहाँ इस मुल्क के लेखकों ने समृद्ध किया है, वहीं दूसरे मुल्कों में रह रहे उर्दू-लेखकों एवं शायरों के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे मुल्क से बाहर रहते हुए भी, अपनी उर्दू भाषा से प्रेम करते हैं और अपने लेखन से इसे विकसित करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं।’’ -उक्त उद्गार, महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने बिहार उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित ‘विश्व उर्दू सम्मेलन’ का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये।

राज्यपाल ने कहा कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में उर्दू विभाग कार्यरत हैं, जिनमें अच्छे शिक्षकों के अलावा मेहनती बच्चे-बच्चियाँ भी हैं। हम यह आशा करते हैं कि सभी शिक्षक, उर्दू पढ़ने वाले बच्चों का एक ऐसा समूह तैयार करेंगे, जो आगे चलकर उर्दू जुबान-व-अदब के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान करेंगे। इस भाषा के विकास के लिए सभी उर्दू भाषा-भाषी अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग करें और अपने बच्चों को शुरू में ही उर्दू की शिक्षा अवश्य दिलायें, ताकि वें अपनी तहजीब से भी जुड़ कर गौरव महसूस कर सकें।

राज्यपाल ने कहा कि सरकार उर्दू भाषा व साहित्य की तरक्की के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। बिहार उर्दू अकादमी भी एक ऐसी सक्रिय संस्था है, जो उर्दू के विकास के लिए कतिपय कार्य रही है। उन्होंने स्वतंत्रता-आन्दोलन में उर्दू अदीबों की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा तब सबमें जोश भरता था। राज्यपाल ने कहा कि उर्दू की तरक्की में सभी धर्मों, जातियों और संस्कृति के लोगों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री कोविन्द ने कहा कि उर्दू जुबान और अदब बेहतर ढ़ंग से बिहार में फल-फूल रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डा अब्दुल गफूर ने कहा कि उर्दू के जरिये शिक्षा देनेवाली संस्थाओं को सुदृढ़ीकृत किये जाने की जरूरत है।          कार्यक्रम में बोलते हुए उर्दू भाषा प्रोन्नयन की राष्ट्रीय परिषद् के निदेशक प्रो॰ इरतजा करीम ने कहा कि उर्दू भाषियों को उर्दू की तरक्की के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। कनाडा से आये शायर जावेद दानिश ने भी उद्घाटन-सत्र में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में स्वागत-भाषण  बिहार उर्दू अकादमी के सचिव मुश्ताक अहमद नूरी ने एवं धन्यवाद-ज्ञापन मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विष्वविद्यालय, पटना के पूर्व कुलपति प्रो॰ एजाज अली अरशद ने किया।

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