पुस्तक मेला जनचेतना के संचार का माध्यम भी होना चाहिये-मुख्यमंत्री

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निशिकांत सिंह.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पटना के गांधी मैदान में 23वें वार्षिक पुस्तक मेला का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पटना के गांधी मैदान में पुस्तक मेला का प्रारंभ 1985 में पहली बार किया गया था, तब से लेकर पुस्तक मेला ने अपनी विषिष्ट पहचान बनाई है।बिहार के लोगों की पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में दिलचस्पी रही है।

उन्होंने कहा कि यहां के लोग सजग और सक्रिय हैं। यह इस बात का सबूत है कि पुस्तकों के बिक्री के मामले में यह पुस्तक मेला देश में अग्रणी स्थान हासिल किये हुये है। देश में आयोजित अन्य पुस्तक मेला की अपेक्षा पटना पुस्तक मेला में पुस्तकों की बिक्री का पहला स्थान रहा है। यहां पुस्तक मेला में बाहर से भी लोग आते है।पुस्तक मेला एक सांस्कृति कार्यक्रम है, इसके माध्यम से जन चेतना का संचार होता है।

            मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के इसी गांधी मैदान में प्रकाश पर्व का आयोजन हुआ, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। बिहार के लोगों ने प्रकाश पर्व में अपनी दिलचस्पी दिखाई और जिस आत्मानुशासन का परिचय दिया, उससे बिहार का मान बाहर के प्रदेशों में काफी बढ़ा है। उसी समय बोधगया में कालचक्र उत्सव का आयोजन संपन हुआ है, जिसमें 92वें देशों के लोग शामिल हुये।एक परिसर में एक साथ 80 हजार लोगों ने बैठकर प्रार्थना की। यह उत्सव 14 दिनों तक चला। शांति व्यवस्था और लोगों में अनुशासन देखने योग्य था। बिहार का गौरवशाली अतीत रहा है। प्रकाश पर्व के अवसर पर लोगों ने जो व्यवहार और स्वभाव दिखाया दरअसल वही बिहार का मिजाज है। यहां कुछ लोग हैं जो बाहर में बिहार को बदनाम करने में लगे रहते है। शराबबंदी और पुर्ण नशाबंदी को लेकर मानव श्रृंखला की सफलता से यह सबित हो गया कि यहां के लोग इसके पक्ष में मजबूती के साथ खड़े है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी वर्ष के अवसर पर 10 अप्रैल से अनेक कार्यक्रम प्रस्तावित हैं, जो पूरे साल चलेंगे। मेरा उद्देश्य है बापु का संदेश घर-घर तक पहॅुचाया जाये। उनके व्यक्तित्व और कृतृत्व से बच्चों को परिचित कराया जाये। 

            मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तक मेला जनचेतना के संचार का माध्यम भी होना चाहिये। पुस्तक मेला में बड़े विद्वान इकठ्टा होंगे, उनके बीच वाद-विवाद होगा, संगोष्ठी का आयोजन होगा। इस मेले का एक पक्ष यह भी होना चाहिये कि लोग पुस्तकें पढ़े, सीखें और पुस्तकों में लिखी गई बातों की मूल भावना को अंगीकार करें, इससे जनचेतना का प्रसार होगा और बिहार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।

            इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 25वां पुस्तक मेला का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाये, सरकार के स्तर से जो भी सहयोग की अपेक्षा होगी, पुरा किया जायेगा। सरकार और प्रशासन के स्तर से जो किया जाना है, वो किया जाता है, हम इसे अपना धर्म मानकर पुरा करते हैं। पुस्तक मेला का आयोजन सेन्टर फॉर रीडरशीप डेवलपमेंट (सी0आर0डी0) की ओर से किया गया है।

            इस अवसर पर सीआरडी संस्था के संस्थापक एनके झा, आयोजन समिति के अध्यक्ष  एचएन गुलाटी, समिति के संयोजक अमित कुमार,सचिव अमरेन्द्र कुमार झा, वरिष्ठ साहित्यकार और कवि सत्यनारायण, युवा साहित्यकार रत्नेश्वर के साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

           

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