7वें वेतनमान के लिए सरकार जानबूझकर कमिटी बनाने में कर रही है विलम्ब-सुशील मोदी

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संवाददाता.पटना.प्रदेश के करीब 20 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का इंजतार है मगर राज्य सरकार जानबूझ कर वेतन समिति गठित करने में देर कर रही है.यह आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बताया कि मुख्यमंत्री के पास चार महीने से समिति गठित करने संबंधित संचिका लम्बित है.

मोदी के अनुसार दरअसल शराबबंदी के बाद लचर आर्थिक स्थिति के कारण अपने कर्मचारियों को वर्तमान दर से भी नियमति वेतन भुगतान नहीं कर पा रही सरकार.इसलिए नया वेतनमान देने से बचाना चाहती है.सरकार एक तरह से हाथ खड़ा कर रही है, ऐसे में अब कर्मचारियों को तय करना है कि वे नया वेतनमान कैसे लेंगे? केन्द्र सरकार द्वारा सातवां वेतनमान लागू किया जा चुका है. आमतौर पर केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मियों के वेतन वृद्धि या वेतनमान लागू किए जाने के बाद राज्य सरकार भी उसी तर्ज पर अपने कर्मियों के वेतन में वृद्धि या उन्हें नया वेतनमान देती है. मगर राज्य सरकार अभी तक वेतन समिति का गठन भी नहीं कर पाई है. दरअसल सरकार जानबूझ कर देर कर रही है.
मालूम हो कि 3.5 लाख राज्यकर्मियों के अलावा 4.25 लाख पेंशनर, 4 लाख नियोजित शिक्षक और विश्वविद्यालय तथा नगर निकाय के कर्मचारियों सहित करीब 20 लाख कर्मियों को सातवें वेतनमान से लाभ मिलेगा. वेतन पर 2016-17 में 18,328 करोड़ तथा पेंशन पर 16,285 करोड़ व्यय होने का अनुमान है. अगर सातवां वेतनमान लागू होता है तो कर्मियों के वेतन में करीब 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी. शराबबंदी के बाद राजस्व संग्रह में कमी आई है. मुख्यमंत्री भले मिठाई और दूध की बिक्री बढ़ने का शिगूफा उछाल रहे हैं मगर राज्य की वित्तीय स्थिति चरमरा गई है.

 

 

 

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