चुपके से रिपोर्ट कार्ड जारी कर झांसा देने की कोशिश-सुशील मोदी

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संवाददाता.पटना.एक साल के कार्यकाल में कोई खास उल्लेखनीय उपलब्धियां नहीं होने की वजह से पहले तो महागठबंधन सरकार ने रेल हादसे के बहाने रिपोर्ट कार्ड को जारी करने से टाल दिया, फिर दूसरे दिन चुपके से जारी कर जनता को झांसा देने की कोशिश की.यह आरोप लगाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि विपक्ष की ओर से उठाए गए उन तमाम सवालों का जवाब देना सरकार ने मुनासिब नहीं समझा जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं.

मोदी के अनुसार रिपोर्ट कार्ड में सरकार को बताना चाहिए था कि सत्ताधारी दल के उन दर्जन भर विधायकों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुईं जिनके काले कारनामों से पूरे देश में बिहार को शर्मसार होना पड़ा है? पूरे बिहार में कोहराम मचाने वाले अपराधियों पर नकेल कसने में सरकार क्यों विफल रही? कानून के राज का दावा करने वाली सरकार बतायें कि जेल-बेल और बचाने-फंसाने का खेल क्यों जारी रहा? भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलेरेंस की नीति पर अमल का दावा करने वाली सरकार को बताना चाहिए पिछले एक साल में ‘बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम-2009’ के तहत कितने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनकी सम्पति जब्त कर उनमें स्कूल खोला गया? रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए कितने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई हुई तथा आय से अधिक सम्पति के कितने मामले दर्ज किए गए? तामझाम से लागू किए गए कृषि रोड मैप का क्या हुआ? 18 विभागों को मिला कर गठित कृषि कैबिनेट क्यों भंग कर दी गई? स्वास्थ्य व शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गठित मानव विकास मिशन का क्या हुआ? जब नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत उद्योगों व निवेशकों को दी जाने वाली सारी रियायतों व अनुदानों को खत्म कर दिया गया है तो फिर औद्योगिक प्रोत्साहन व निवेश को बढ़ावा कैसे दी जायेगी?
मुख्यमंत्री चापाकल, नगर विकास और ग्रामोदय योजनाओं को क्यों बंद कर दिया गया? बैंकों की शिक्षा ऋण योजना को ‘ स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ का नया नाम देकर क्या छात्रों को झांसा देने की कोशिश नहीं की गई है? क्या छात्रों को वाई-फाई शैक्षिक कैम्पस का तब तक कोई लाभ मिल पायेगा, जब तक कि उनके पास लैपटॉप नहीं होगा? क्या इस रिपोर्ट कार्ड को चुपके से जारी कर सरकार ने यह स्वीकार नहीं कर लिया है कि सभी मोर्चों पर वह बुरी तरह से विफल है?

 

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