रेल का सुरक्षित परिचालन हमारी प्राथमिकता— डीआरएम

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सुधीर मधुकर.पटना. कानपुर के पास रविवार की सुबह इंदौर से पटना आने वाली इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन की दुर्घटना में 100 से अधिक यात्रियों के मरने और 200 से अधिक यात्रियों के घायल होने की घटना से रेल के सिस्टम पर सवाल खड़ा होने लगा है. इस सम्बन्ध में दानापुर रेल मंडल के डीआरएम रमेश कुमार झा ने बताया कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होती है गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन की.इस मामलों में किसी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाता है. चाहे हॉट सीजन हो या कोल्ड सीजन इस में खास कर सभी अधिकारियों को भी औचक निरीक्षण में लगाया जाता है.

उन्होंने बताया कि अभी तो मंडल में कुहासा का प्रभाव नहीं है लेकिन कोल्ड सीजन के शुरू होने और समाप्त होने तक खास कर कीमैन एवं पेट्रोल मैन को रेललाइनों में होने वाले रेल फ्रेक्चर की पहचान के लिए नाईट पेट्रोलिंग में लगाया जाता है. ऐसे हरेक कर्मचारी को 2 से 3 किलोमीटर बीच की पटरियों की लगातार निगरानी कर के देखना होता है कि कहीं रेल में फ्रेक्चर तो नहीं है. स्टेशन पर पोटर और क्रोसिंगगेट पर गेटमैन झंडी के लेकर तैनात रहता है. कुहासे में फॉगी सिंगनल ( पटाखा ) 270 मीटर की दूरी पर प्रथम रोक सिगनल से पहले रेल पटरी पर बांधा जाता है. दूसरा पटाखा पहले पटाखा से 10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है. वहीं फॉगी सिगनल मैन 45 मीटर की दूरी पर हाथ बत्ती लेकर खड़ा रहता है जब की बहुसंकेतीय सिगनल में पटाखा होम सिगनल से पहले लगाया जाता है. इस तरह से इंजन चक्का के दबाव से पटाखा की आवाज जोर से होने से ट्रेन चालक को आगे सिगनल होने का संकेत मिल जाता है. झाझा – मुगलसराय के बीच डबल डिस्टेंस सिगनल होने के कारण इस में फौगी सिगनल का उपयोग नहीं होता है. समयपार फाटक पर चालक को लगातार निर्धारित सीटी बजाना होता है. क्योंकि समयपार फाटक पर पटाखा नहीं लगाया जाता है. डिस्टेंस सिगनल के पास  रेल लाईनों के गिट्टी पर चुना से मार्किंग भी किया गया है. ओवर हेड इक्वीपमेंट खम्भों और एलसी गेटों पर रेट्रो रिफ्लेकिस चमकीला स्टीकर लगाया जाता है जो रात के अंधरे में चमकता है. जिसे देख ट्रेन चालक दूर से ही अलर्ट हो जाते हैं. कुहासा से प्रभावित इलाकों में रेलगाड़ियों की रफ़्तार 60 किलो प्रतिघंटा रखने का निर्देश दिया गया है. इस के अलावा ट्रेन चालक को छूट है कि कुहासे की सघनता को देखते हुए गाड़ियों कि रफतार स्वयं निर्धारित करें. वहीं दूसरी ओर राजेन्द्रनगर,पटना,दानापुर और राजगीर में रेलगाड़ियों के कोचों का मेंटिनेंस हर हाल में नियमित रूप से किया जाता है. मंडल के वरीय संरक्षा अधिकारी जेपी मंडल ने बताया है कि संरक्षा नियमों का शतप्रतिशत पालन कराने के लिए हर तरह के उपाय किये जाते हैं. संरक्षा नियमों का पालन हो इस के लिए समय-समय पर संरक्षा से जुड़े कर्मचारियों का कार्यशाला लगाया जाता है एवं लोको क्रुसेल,स्टेशन मास्टर ऑफिस आदि जगहों पर इस से सम्बंधित नियमों का पोस्टर भी लगाया जाता. साथ ही नुक्कड़ नाटकों आदि के माध्यम से कर्मचारियों और आम जनता को जागरूक भी किया जाता है. मंडल के कंट्रोल रूम में 24 घंटे गाड़ियों के परिचालन से लेकर और समस्याओं की निगरानी की जाती है.

मालूम हो कि बिहार में गैसल दुर्घटना आमने सामने के ट्रेन टक्कर में काफी लोगों की मौत को लेकर वर्तमान पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.इस को लेकर आमने-सामने के टक्कर से होने वाली रेल दुर्घटना को रोकने के लिए एंटी कॉलिजन एडवाईस और इमरजेंसी अलर्ट अलार्म लगाये जाने के वारे में योजना बनायीं गयी थी,जो आज तक लागू नहीं हो पाया है

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