जो संतोष मुझे शराबबंदी लागू कर मिला, वह कभी नहीं मिला: मुख्यमंत्री

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निशिकांत सिंह.पटना. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने से देश भर के शराब माफिया काफी परेशान हैं. उन्हें लगता है कि अगर बिहार इतने बड़े राज्य में शराबबंदी सफलतापूर्वक लागू हुआ तो उनका धंधा बंद हो जायेगा. इसलिये वे दुष्प्रचार करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि धैर्य से कठिनाई का सामना करना है. रास्ते में जो भी बाधायें आयेंगी, उन्हें दूर करना है, जन चेतना फैलाना है. शराबबंदी लागू कर मुझे जो संतोष मिला, वह किसी और कार्य से नहीं मिला.

मुख्यमंत्री आज जनजीवक कल्याण संघ (आर0एम0पी0) ग्रामीण चिकित्सकों के शराबबंदी पर एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए अपनी भावना प्रकट कर रहे थे.उन्होंने कहा कि गलत ढ़ंग से लोगों को फॅसाने वालों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान है. हमने लोगों की इच्छा के अनुरूप कार्य किया है. लोगों से उनकी इच्छा पूछ लीजिये, लोकतंत्र में जनइच्छा सबसे बड़ी चीज है. हम मानवाधिकार के बड़े पक्षधर रहे हैं. किसी निर्दोष को सजा न मिले, उसके लिये भी सब कुछ करेंगे. आज हर गांव में परिवार में खुशी का माहौल है. मैंने नौ प्रमण्डलों में महिलाओं के बड़े सम्मेलन में भाग लिया है. उनसे बातचीत की है. उन्होंने कहा कि लोगों की भावना से अभिभूत होकर यह काम किया है.

इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीण चिकित्सकों को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने सभी को बकरीद की मुबारकवाद दी तथा कहा कि इस प्रशिक्षण शिविर में शराब के कुप्रभाव के बारे में जानकारी दी जायेगी. ग्रामीण चिकित्सक का सम्पर्क ग्रामीण स्तर पर लोगों से रहता है. उनका ग्रामीण क्षेत्र में लोगों से जीवंत संबंध होता है. यहां पर आप जो जानकारी प्राप्त करेंगे, उस जानकारी से लोगों को अवगत करायेंगे तो इसका काफी प्रभाव होगा. मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण शिविर के आयोजन के लिये आयोजकों को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि यहां से प्रशिक्षण लेकर जाइयेगा तो उसका प्रचार नीचे तक कीजियेगा. उन्होंने कहा कि शराब के दुष्प्रभाव के संबंध में लोगों को जरूर बताइयेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी का व्यापक प्रभाव हुआ है. जो लोग शुरू में इसके खिलाफ थे, अब वे भी काफी प्रसन्न हैं. उन्हें लगता है कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुधर गया है. गरीबों के जीवन में परिवर्तन आ गया है, लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिये, शराबबंदी का प्रभाव देखना है तो गांव में जाकर देखिये, लेागों से बात कर देखिये. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से शराबबंदी के पक्ष में था.

यही श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल है जहां 9 जुलाई 2015 को जीविका के महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के कार्यक्रम में मैं शामिल हुआ था. लोगों को संबोधित करने के बाद जैसे ही मैं अपने स्थान पर बैठा, तभी महिलाओं की आवाज आयी कि शराबबंदी लागू कीजिये. मैंने पुनः माइक पर आकर कहा कि अगली बार सता में आयेंगे तो शराबबंदी लागू करेंगे. उस वक्त मन का द्वंद मिट गया. उन्होंने कहा कि हमने 2011 से मद्य निषेध दिवस के आयोजन की शुरूआत की है. जो गांव शराब से मुक्त हो जाते थे, उन्हें पुरस्कृत किया जाता था. शराबबंदी के लिये अच्छे पोस्टर, अच्छे स्लोगन लिखने वालों को भी पुरस्कृत किया जाता था. उन्होंने कहा कि शराबबंदी लागू करने के लिये बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसमें सभी लोगों को शामिल किया गया.इस अभियान में छात्रों ने अपने अभिभावकों से शपथ पत्र भरवाकर जमा करवाया. कुल एक करोड़ 19 लाख लोगों द्वारा शपथ पत्र भरे गये. नौ लाख जगहों पर दीवार लेखन कर नारे लिखे गये। 25 हजार जगहों पर नुक्कड़-नाटक का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि बिहार में 1 अप्रैल 2016 से ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी परन्तु माहौल ऐसा बना कि 5 अप्रैल 2016 से पूरे बिहार में (ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों में) पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी. उन्होंने कहा कि शराबबंदी लागू करने के लिये कड़े कानून बनाये गये हैं. लेकिन कानून से अकेले शराबबंदी अभियान सफल नहीं हो सकता है. जन चेतना द्वारा इसको सफलता मिल सकती है.

इस अवसर पर डा राजवर्द्धन आजाद, डा सुनील कुमार सिंह, डा विनय गोयल, डा बी0पी0 सिंह सहित अन्य चिकित्सकों ने समारोह को संबोधित किया. मुख्यमंत्री द्वारा चिकित्सकों को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया. जनजीवक कल्याण संघ (आर0एम0पी0) ग्रामीण चिकित्सक की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शाल एवं प्रतीक चिह्न भेंट किया गया.

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