बिहार भाजपा का भी बदलेगा चेहरा,हरेन्द्र प्रताप रेस में आगे

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प्रमोद दत्त

पटना.पांच राज्यों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद अब बिहार की बारी है.वर्तमान अध्यक्ष मंगल पांडेय के पुन: अध्यक्ष बनने की संभावना जैसे जैसे कमजोर पड़ती जा रही है,वैसे वैसे इस पद के दावेदारों की संख्या बढती जा रही है.अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नेताओं में हरेन्द्र प्रताप पांडेय फिलहाल सब पर भारी दिखाई दे रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में मिली भारी सफलता और फिर विधानसभा चुनाव में करारी हार की समीक्षा के साथ-साथ जातीय समीकरण व संघ की पसंद के आधार पर ही तय होगा बिहार भाजपा का अगला अध्यक्ष. प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय का कार्यकाल 2015 में समाप्त हो चुका है.वे भी प्रबल दावेदार हैं.विधानसभा चुनाव की हार के जवाब में उनके समर्थक लोकसभा की जीत का उदाहरण सामने रखते हैं.विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी का संरक्षण उन्हें प्राप्त है.विधान सभा में विधायक दल के नेता पद के चुनाव में जिस प्रकार डा.प्रेम कुमार को सामने कर परिवर्तन किया गया उसी प्रकार यह माना जा रहा है कि केन्द्रीय नेतृत्व परिवर्तन के मूड में है.इसी मूड को देखते हुए अध्यक्ष पद के कई दावेदार सामने आ गए हैं.

दावेदारों में सवर्णों की संख्या अधिक है.यह माना जा रहा है कि विधानसभा में नेता पद अत्यंत पिछड़ी जाति (प्रेम कुमार) और विधान परिषद में पिछड़ी जाति(सुशील मोदी) को नेता पद दिए जाने के बाद प्रदेश की बागडोर किसी सवर्ण नेता को ही सौंपी जाएगी. इसलिए दावेदारों में गिरिराज सिंह(केन्द्रीय मंत्री),जनार्दन सिंह सीग्रीवाल(सांसद),अश्विनी कुमार चौबे(सांसद),विनोद नारायण झा(विधायक व पार्टी प्रवक्ता),हरेन्द्र प्रताप पांडेय(विधान पार्षद) और राजेन्द्र सिंह-सभी सवर्ण हैं.पिछड़ों में सिर्फ नन्दकिशोर यादव और सूरजनंदन कुशवाहा के नाम चर्चा में हैं.इन दावेदारों में सुशील मोदी-विरोधियों की संख्या अधिक है.इसलिए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि मोदी-विरोध के नाम पर हर मौके पर एकजुट रहनेवाले नेता अपनी अपनी दावेदारी को लेकर बिखरे रहे तो एकबार फिर सुशील मोदी अपनी पसंद का अध्यक्ष बनवाने में कामयाब हो सकते हैं.

लेकिन प्रेक्षकों का मानना है कि इस बार प्रदेश स्तर की लॉबीबाजी कामयाब नहीं होगी.इसलिए संघ की पसंद सब पर भारी पड़ेगा. संघ बिहार भाजपा को गुटबाजी से मुक्त करते हुए संगठन के अनुभवी को तरजीह देगा.वैसे नेताओं को संघ आगे करने के मूड में नहीं है जिन्हें मंत्री या बड़े पद मिल चुके हैं.गिरिराज सिंह केन्द्र में मंत्री हैं और प्रदेश में भी मंत्री रह चुके हैं.अश्विनी चौबे और सीग्रीवाल नीतीश मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके हैं.नन्दकिशोर यादव राज्य में मंत्री रहने के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके हैं.

हरेन्द्र प्रताप के संघ के साथ रिश्ते जगजाहिर है.संगठन के अनुभव के मामले में भी वे सबपर भारी पड़ते हैं.विद्यार्थी परिषद के लंबे अनुभव के अतिरिक्त भाजपा के प्रदेश संगठनमंत्री के रूप में भी बिहार के जिलास्तर की राजनीति का अनुभव वे रखते हैं.राजनीति के लंबे कार्यकाल में उन्हें अबतक सिर्फ विधायकी(विधान पार्षद) मिली.चर्चा है कि संघ की पहली पसंद होने के कारण हरेन्द्र प्रताप अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं.

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