हाथियों के साथ कैसा हो मानवीय व्यवहार,बताया पेटा के एक्सपर्ट ने

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 इशान दत्त.

पटना.पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स (पेटा ) इंडिया और बिहार के वन विभाग ने मिलकर पटना में एक सम्मलेन का  आयोजन किया।  इस सम्मेलन में अन्तराष्ट्रीय रूप से प्रसिद्ध हाथी के व्यवहार की  एक्सपर्ट  मार्गरेट व्हिटकर और गेले लौले द्वारा बंदी हांथी के प्रबंधन की आधुनिक,  मानवीय संरक्षित -संपर्क (पीसी )विधि -ऐसी विधि, जो की हिंसा तथा अंकुश का प्रयोग करके प्रशिक्षण देने से अलग हैं की सिद्धांतो पर किया गया प्रस्तुतिकरण शामिल था।आयोजन में , व्हिटकर और लौले ने बानेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ,बंगलौर  स्थित हाथी देखबाल केंद्र में प्रयोग की गयी इस प्रणाली की प्रगति के बारे में बताया।  यह वह जगह हैं जहां हैं पेटा अत्याधुनिक ,मॉडल हाथी -देखभाल सुविधा  केंद्र बनाने में मदद कर रहा हैं-और जहां पेटा द्वारा हाथी ,सुन्दर के बुरे व्यवहार से बचाए जाने पर जून 2014 में स्थानांतरित किया  था।

सम्मलेन में बिहार ,उत्तर प्रदेश,छतीसगढ़,झारखंड बंगाल ,असम ,आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना ,मध्य प्रदेश और तमिलनाडु राज्य के अधिकारियों ने भाग लिया। इन राज्यों में स्थित चिड़ियाघरों के प्राधिकारियों ,उत्तर पूर्वी भारत में प्रमुख वन्य जीव संरक्षण  के अभ्यारण्यों के गैर -सरकारी संघठनो के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। प्रस्तुतिकरण में मानवीय प्रशिक्षण के बारे में बताया गया जो कि बीबीपी में सुन्दर तथा अन्य हाथियों के साथ प्रयोग किया जा रहा हैं। सुन्दर  ने महाराष्ट्र में एक मंदिर के अँधेरे शेड में वर्षो तक ज़ंजीरों में बंधे रहकर समय व्यतीत किया और मनुष्यों के प्रति एक अविश्वास पैदा किया।अब,उसका जीवन बदल गया हैं और बेहतर हो गया हैं।  उसके नए केयरटेकर हाथी को हैंडल करने की आधुनिक ,मानवीय पीसी विधि को सीख रहे हैं तथा अभ्यास कर रहे हैं। जिसमे वह कभी हिंसा या दंड का प्रयोग नहीं करते।

व्हिटकर तथा लौले ने हाल ही में प्रशिक्षण के तीसरे चरण के भाग के रूप में बीबीपी पशु चिकित्सको तथा सुन्दर के केयरटेकर को प्रशिक्षित करने में 7 दिन व्यतीत किया।पेटा इंडिया के पशु चिकित्सा मामलो के निदेशक मणिलाल  वाल्लीयते ने कहा, “संरक्षित संपर्क पर इस सम्मलेन को आयोजित करने में बिहार वन विभाग के समर्थन के लिए शुक्रगुज़ार हैं। जानवरों के प्रबंधन के लिए – डराने या बुरे व्यवहार करने  के बजाय प्रोत्साहनों  का प्रयोग करने वाली इस प्रणाली से निश्चित  रूप  से अन्य बंदी हाथी लाभान्वित होंगे। ” उन्होंने आगे कहा, बीबीपी में सुन्दर ने जिस प्रकार से अपने आप अद्भुत प्रगति की हैं ,उसने एक इतिहास बना दिया हैं।

पेटा इंडिया, जिसका हिस्सों में आदर्श वाक्य हैं कि “जानवर  मनोरंजन के लिए हमारे प्रयोग हेतु नहीं   हैं ” -व्याख्या करता हैं कि पीसी एक सावधानीपूर्वक विचार की गयी , अच्छी तरह  से अनुसंधान की गयी, हाथी के मानवीय प्रबंधन की प्रणाली हैं जिससे अन्य देशो में लगभग दो दशकों से प्रयोग किया जा रहा हैं।इसमें शारीरिक दंड या नियंत्रण शामिल नहीं हैं। जिससे रस्सी ,ज़ंजीर और अंकुश का प्रयोग नहीं किया जाता हैं। इसके बजाय ,एक अवरोधक -जैसे एक धातु के स्क्रीन , बार्स या रोकथाम का ढलान – हाथियों और मनुष्यों विभक्त रखता हैं।  हैंडलकर्ता हाथी के ऊपर प्रभुत्व की स्थिति  की कल्पना करने के लिए प्रयास नहीं करता बल्कि सापेक्ष समानता की स्थिति से प्रचालन करता हैं। आक्रमकता तथा अन्य प्रकार के गैर -अनुकूल व्यवहार को कभी दण्डित नहीं किया जाता हैं-उन्हें बस अनदेखा कर दिया जाता हैं।

व्हिटकर तथा लौले को अपने कार्यो में हाथियों को संभालने के लिए -कभी भी शारीरिक हिंसा का नहीं -बल्कि सकरात्मक सुदृढ़ीकरण की तकनीकों का प्रयोग करने के लिए जाना जाता हैं। व्हिटकर ने अपने करियर की शुरुआत होस्टन चिड़ियाघर में जानवरों के साथ कार्य करके की थी , जहां उन्होंने सकरात्मक सुदृढ़ीकरण प्रशिक्षण तकनीको में अपना कौशल विकसित किया। पिछले 20 वर्षो से ,वे एशिया यूरोप ,तथा अन्य उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में चिड़ियाघरों और अभयारण्यों  के साथ काम करने वाले एक्टिव एन्वॉयरमेंट  के लिए व्यवहार  सम्बन्धी परामर्शदाता हैं तथा वे इस समय तेनेसे में स्थित द एलीफैंट सैंक्चुअरी में हांथी प्रोग्राम की निदेशक हैं।  लौले जो कि एक्टिव एन्वॉयरमेंट की सह-संस्थापक हैं, ने समुंद्री जीवों के प्रशिक्षण के दौरान सकारात्मक सुदृढ़ीकरण   में अपना कौशल विकसित किए।उन्होंने प्राइमेट ,बड़ी बिल्ली ,भालू तथा बहुत से अन्य जानवरो सहित चिड़ियाघरों में आमतौर पर रखे जाने वाली अधिकाँश प्रजातियों के साथ कार्य किया। वे तथा उनकी साथी ने एक्टिव एन्वॉयरमेंट में 1991 में संरक्षित -संपर्क प्रणाली विकसित की थी,और वे तब से हाथियों के साथ कार्य कर रही हैं।  उन्होंने एशिया यूरोप ,दक्षिणी अमेरिका तथा यू.अस में चिड़ियाघरों ,अभ्यारण्यों तथा बचाओ केन्द्रों के लिए कार्य किया। पीसी प्रणाली को हाथियों  का बेहतर  कल्याण करने के दौरान मनुष्यों को सुरक्षित रखने के लिए डिज़ाइन की गयी थी।

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