महागठबंधन की उलझी गांठ

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प्रमोद दत्त, पटना।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की गांठ फिर उलझ गई है। कुल 243 सीटों पर गठबंधन के 255 प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि, 13 सीटों पर तालमेल न बनने से विवाद गहराता जा रहा है। नतीजतन, राजद और कांग्रेस के बीच बातचीत फिलहाल बंद हो गई है।

इन 13 सीटों पर महागठबंधन के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं।

कहलगांव, वैशाली, नरकटियागंज, सिकंदरा, सुल्तानगंज और वारसलिगंज — इन छह सीटों पर राजद और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

वहीं, बछवाड़ा, बिहार शरीफ, राजापाकर और करहगर में कांग्रेस और भाकपा के उम्मीदवार आमने-सामने हैं।

इसके अलावा, चैनपुर और बाबूबरही में राजद और वीआईपी, जबकि बेलदौर में कांग्रेस और आईआईपी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

अब जबकि संवाद का सिलसिला रुक गया है, इन सीटों पर “दोस्ताना संघर्ष” बताया जा रहा है।

महागठबंधन की सीटों का बंटवारा इस प्रकार है — राजद: 143, कांग्रेस: 61, वामदल: 33, वीआईपी: 15 और आईआईपी: 3 सीटें।

लेकिन 13 सीटों पर तालमेल की कमी ने नेताओं के बीच नाराज़गी बढ़ा दी है। इससे न सिर्फ प्रचार अभियान उलझ सकता है, बल्कि इसका असर आस-पास की सीटों पर भी पड़ सकता है।

स्थिति तब और पेचीदा हो गई जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के क्षेत्र कुटुम्बा से राजद ने भी अपना उम्मीदवार उतार दिया।

इससे दोनों दलों में तनाव और बढ़ गया है।

इधर, झारखंड में भी राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। झामुमो के नेतृत्व में चल रही सरकार में शामिल राजद ने झामुमो के लिए सिर्फ दो सीटें छोड़ीं।

इसके विरोध में झामुमो ने पहले छह सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, लेकिन बाद में महागठबंधन से बाहर होने का निर्णय लिया।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, झामुमो की यह नाराज़गी आने वाले झारखंड चुनावों पर भी असर डाल सकती है।

संभावना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में राजद को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

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