तीन तलाक के मामलों में आयी ऐतिहासिक कमी-डॉ संजय जायसवाल

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संवाददाता.पटना. तीन तलाक कानून के एक वर्ष पूर्ण होने पर मुस्लिम महिलाओं को हुए फायदों के बारे में बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि आज से ठीक एक साल पहले देश एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना था, जब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कानून बना कर फौरी तीन तलाक या ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को अमान्य घोषित कर दिया था. देश की करोड़ो मुस्लिम महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए लाए गये इस कानून के बाद देश में फौरी तीन तलाक के मामलों में अप्रत्याशित कमी आयी है.

उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक महज एक साल में तीन तलाक के मामलों में सत्तर फीसदी तक की गिरावट आई है. बिहार का ही उदाहरण लें तो 1985 से 2019 तक जहां 38,617 मामले सामने आए थे, वहीं बीते एक साल में इस तरह के महज 49 मामले संज्ञान में आए हैं. यूपी में जहां औसतन हर साल 1864 मामले आते थे वहीं पिछले एक साल में सिर्फ 281 मामले दर्ज किए गए हैं, यानी हर राज्य में इस तरह के मामलों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.
डॉ जायसवाल ने कहा कि  तीन तलाक की यह कुप्रथा मिस्र, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश जैसे दुनिया के अधिकांश इस्लामिक मुल्कों, यहां तक कि पाकिस्तान में भी कई दशकों से बैन है, लेकिन एक साजिश के तहत इस कुप्रथा को भारत में जारी रहने दिया गया. तीन दशक पूर्व एक अवसर आया था, जब शाहबानो मामले में 400 से अधिक सांसदों वाली कॉन्ग्रेस मुस्लिम महिलाओं को इस दंश से मुक्त करा सकती थी. 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक से पीड़ित शाहबानो के पक्ष में फैसला देते हुए उसे 500 रुपए प्रति माह के गुजारा भत्ते का प्रावधान रखते हुए कहा था कि यह फैसला शरीयत के अनुसार है. मगर, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने इसे लागू करने के बजाय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलवियों और वोट बैंक की राजनीति के दबाव में आकर एक नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया और इस कुप्रथा के तहत मुस्लिम महिलाओं की प्रताड़ना बरकरार रही. मुस्लिम महिलाओं के प्रति कांग्रेस का यह अमानवीय रुख निरंतर जारी रहा, यहां तक कि उन्होंने वर्तमान केंद्र सरकार की राह में भी रोड़े अटकाने के भरपूर प्रयास किये, लेकिन तमाम गतिरोध के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इसे पूरा करने की दिशा में प्रयास जारी रखे और अंतत: देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को सदियों पुरानी इस कुप्रथा से छुटकारा मिला.

 

 

 

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