पुस्तकालयों की रोशनी से जगमगाएंगे बिहार के 43,779 स्कूल

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पुस्तकालय में पढ़ाई करते हुए छात्र-छात्राएं

संवादाता, पटना। बिहार सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है – राज्य के 43,779 प्राथमिक सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालयों को स्थापित करने की योजना बनाई है। इससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और संसाधन मिलेंगे, जिससे उनके भविष्य के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना के लिए ₹134.34 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।

राज्य भर में पुस्तकालय स्थापना की योजना

सबसे पहले, यह समझना आवश्यक है कि यह योजना कितनी व्यापक है। यह केवल कुछ जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के हर प्राथमिक विद्यालय को शामिल करती है। बिहार स्टेट एजुकेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (BSEIDC) इस योजना के निर्माण कार्य का नेतृत्व करेगा।

इसके अलावा, जिन विद्यालयों में पहले से पुस्तकालय मौजूद हैं, वहां उन्हें अपग्रेड किया जाएगा। यह कदम न केवल छात्रों को पढ़ने की आदत बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि स्कूलों के समग्र शैक्षणिक माहौल को भी सशक्त बनाएगा।

केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल

दूसरी ओर, यह योजना ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के तहत केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि से भी समर्थित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समावेशी और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देना है। जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे एक सप्ताह के भीतर उन विद्यालयों की सूची भेजें जहां नई पुस्तकालय इमारतों की आवश्यकता है।

इससे स्पष्ट है कि राज्य और केंद्र दोनों मिलकर शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए गंभीर हैं।

लाइब्रेरियन की नियुक्ति: युवाओं के लिए नौकरी का मौका

अगला महत्त्वपूर्ण पहलू है -लाइब्रेरियन की नियुक्ति। इस योजना के तहत हर पुस्तकालय में एक प्रशिक्षित पुस्तकालयाध्यक्ष की तैनाती की जाएगी। इसके लिए एक नई नियुक्ति नीति का मसौदा तैयार हो चुका है, जो जून के अंत तक लागू होने की संभावना है।

इस कदम से न केवल पुस्तकों की व्यवस्था सुचारु रूप से होगी, बल्कि बेरोजगार युवाओं के लिए भी यह एक शानदार अवसर बनकर उभरेगा। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि यह योजना शिक्षा और रोजगार,दोनों को साधने का प्रयास है।

स्थानीय स्तर पर जागरूकता और सहयोग की आवश्यकता

इसके साथ-साथ, स्थानीय प्रशासन और समाज को भी इस पहल में सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। स्कूल प्रबंधन समितियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पुस्तकालय का सही उपयोग हो और पुस्तकें बच्चों तक पहुंचे।

साथ ही, शिक्षकों को भी छात्रों को नियमित रूप से पुस्तकालय उपयोग के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि यह सहयोग बना रहता है, तो यह योजना वास्तव में क्रांतिकारी सिद्ध हो सकती है।

शिक्षा की जड़ें होंगी और भी मज़बूत

अंत में, यह कहा जा सकता है कि बिहार सरकार का यह निर्णय न केवल शिक्षाव्यवस्था को नई दिशा देगा, बल्कि समाज के विकास में भी मील का पत्थर साबित होगा। पुस्तकालय न केवल किताबों का भंडार होते हैं, बल्कि यह सोचने, समझने और कल्पना करने की शक्ति को भी जन्म देते हैं।

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