प्रमोद दत्त.
पटना.बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग से संबंधित सर्वदलीय फैसला जिस प्रकार आगे चलकर जदयू का एजेंडा बनकर रह गया उसी प्रकार जातीय जनगणना की मांग से संबंधित बिहार के सर्वदलीय फैसले को राजद अपना प्रमुख राजनीतिक एजेंडा बनाना चाहता है।इसी बहाने बिहार में भाजपा-विरोध का माहौल बनाने की पहल राजद ने कर दी है।राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी गई है जो कई सवालों से घिरा है।
गौरतलब है कि जातीय जनगणना से केन्द्र सरकार के इंकार के बाद बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने भी कह दिया कि जातीय जनगणना सही नहीं है।जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना के पक्षधर हैं और पिछले दिनों उनके ही नेतृत्व में बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री से मिलकर जातीय जनगणना की मांग की थी।केन्द्र सरकार के इंकार के बाद नीतीश कुमार कौन सा कदम उठाऐंगें यह तो समय बताएगा लेकिन शनिवार को प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर देश की 33 पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के पत्र लिखकर यह साफ कर दिया है कि राजद का यह प्रमुख राजनीतिक एजेंडा बनने जा रहा है।
प्रेक्षकों का मानना है कि राजद इस मुद्दे पर नीतीश कुमार का राजनीतिक कद छोटा करने और बिहार में भाजपा-विरोधी माहौल बनाने का दोहरा लाभ उठाने की कोशिश करेगा।इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की पहल करते हुए तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार,जीतन राम मांझी,मुकेश सहनी जैसे एनडीए फोल्ड के नेताओं सहित एआईएमआईएम,कांग्रेस,वाम दलों व अन्य नेताओं को पत्र लिखा है।उन्होंने सोनिया गांधी,शरद पवार,अखिलेश यादव,मायावती,ममता बनर्जी,एमके स्टालिन,नवीन पटनायक,सीताराम येचुरी,डी राजा,फारूख अब्दुला,प्रकाश सिंह बादल,दीपाकंर भट्टाचार्य,उद्धव ठाकरे,महबूबा मुफ्ती,हेमंत सोरेन,अरविन्द केजरीवाल, चरणजीत सिंह चन्नी,भूपेश बघेल आदि सभी भाजपा-विरोधी नेताओं को पत्र लिखा है।
 पत्र में तेजस्वी यादव ने लिखा है- जातीय आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना की मांग से जुड़े प्रपोजल को खारिज कर दिया है।केन्द्र का यह रूख सही नहीं है।इसलिए हम आप सबका सर्पोट चाहते हैं क्योंकि जब तक सही आंकड़ा नहीं मिलेगा देश के पिछड़े वर्गों को योजनाओं का सही लाभ नहीं मिल सकेगा।हम आपके पॉजिटिव रिस्पांस का इंतजार कर रहे हैं।तेजस्वी यादव पहले से कह रहे हैं कि अगर सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का रूप दिया जाएगा।
   पत्र में तेजस्वी यादव ने लिखा है- जातीय आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना की मांग से जुड़े प्रपोजल को खारिज कर दिया है।केन्द्र का यह रूख सही नहीं है।इसलिए हम आप सबका सर्पोट चाहते हैं क्योंकि जब तक सही आंकड़ा नहीं मिलेगा देश के पिछड़े वर्गों को योजनाओं का सही लाभ नहीं मिल सकेगा।हम आपके पॉजिटिव रिस्पांस का इंतजार कर रहे हैं।तेजस्वी यादव पहले से कह रहे हैं कि अगर सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का रूप दिया जाएगा।
तेजस्वी यादव की इस पहल का विभिन्न दलों के नेताओं का रिस्पांस कैसा होता है यह देखना दिलचस्प होगा।क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन कर सोनिया गांधी,ममता बनर्जी,अखिलेश यादव,शरद पवार,नवीन पटनायक जैसे वरिष्ठ नेता तेजस्वी जैसे जूनियर नेता को क्रेडिट नहीं देना चाहेंगे।वाम दलों के नेताओं को तो सिर्फ मोदी-विरोध का एजेंडा चाहिए।इसलिए वे बढचढ कर इस मुद्दे पर लपक पड़ेंगें। बिहार में एनडीए घटक दलों को भाजपा का विरोध करने से पहले आरामदायक कुर्सी का त्याग करना पड़ेगा।कश्मीरी नेताओं व ओबैसी इस आग में घी डालने का काम कर सकते हैं। निश्चित तौर पर यह एजेंडा राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद की दिमागी ऊपज है।सजायाफ्ता होने और कोर्ट की बंदिशों के कारण उन्होंने पर्दे के पीछे से तेजस्वी के चेहरा को आगे किया है।कई वरिष्ठ नेताओं से लालू प्रसाद व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क कर उन्हें राजी करने का प्रयास भी करेंगें।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि पर्दे के आगे तेजस्वी के चेहरे पर,तेजस्वी के पीछे-पीछे वैसे नेता कैसे चलेंगें जो प्रधान मंत्री के दावेदार हैं या अपने- अपने प्रदेशों में मजबूती के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हैं।
 
	













