प्रमोद दत्त.
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान लोक महापर्व छठ पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी से महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि “छठ महापर्व को लेकर मोदी ड्रामा कर रहे हैं।” चुनाव के समय की गई इस टिप्पणी को एनडीए नेताओं ने तुरंत लपक लिया। उन्होंने इसे बिहार की संस्कृति और आस्था का अपमान बताया।
एनडीए को मिला नया मुद्दा
राहुल गांधी की इस टिप्पणी से चुनावी माहौल में बड़ा बदलाव देखने को मिला।
दरअसल, उन्होंने बैठे-बिठाए एनडीए को एक असरदार चुनावी मुद्दा दे दिया।
इससे महागठबंधन, खासकर राजद की परेशानी बढ़ गई।
पहले से ही राजद ने राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ और ‘वोट चोरी’ वाले मुद्दे से दूरी बनाते हुए बेरोजगारी पर फोकस किया था।
कांग्रेस से कन्नी काटने की यह रणनीति राजद को लाभ देती दिखाई दे रही थी।
लेकिन राहुल गांधी की छठ पर की गई टिप्पणी ने यह समीकरण फिर बिगाड़ दिया।
आस्था पर चोट और बढ़ता आक्रोश
राहुल गांधी की टिप्पणी से बड़ी आबादी की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है।
इस पर महिलाओं में विशेष रूप से आक्रोश देखा जा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में महिलाएं सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रही हैं।
कुछ आक्रोशित महिलाएं मोदी को ‘राम’ और नीतीश को ‘लक्ष्मण’ बताते हुए राहुल गांधी के प्रति तीखी प्रतिक्रिया दे रही हैं।
कई टिप्पणियाँ इतनी कठोर हैं कि उन्हें शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।
छठ का सांस्कृतिक महत्व
यह उल्लेखनीय है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला छठ महापर्व अब देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो चुका है।
हिन्दू समाज में यह पर्व आस्था, स्वच्छता और पवित्रता के लिए जाना जाता है।
तीन दिनों तक निर्जला उपवास करने वाली महिलाएं इसे अत्यंत श्रद्धा से निभाती हैं।
ऐसे में राहुल गांधी की टिप्पणी को लोग इस पवित्र पर्व का अपमान मान रहे हैं।
राहुल गांधी और धार्मिक विवाद
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी पर हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगे हों।
वे पहले भी संसद में हिन्दुओं को हिंसक बताने या महाकुंभ पर विवादित टिप्पणी करने जैसी बातों से विवादों में रह चुके हैं।
राम मंदिर के निर्माण और उद्घाटन से दूरी बनाकर उन्होंने एक बार फिर हिन्दू मतदाताओं से खुद को दूर कर लिया है।
राजनीतिक रणनीति और संभावित असर
कांग्रेस की नीतियों में अब एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
पार्टी हिन्दू मतों को विभाजित करने और मुस्लिम मतों को एकजुट करने की रणनीति पर चल रही है।
दक्षिण के कुछ राज्यों में यह रणनीति कांग्रेस को फायदा भी दे चुकी है।
संभवतः राहुल गांधी अब यही फार्मूला बिहार में आजमाना चाहते हैं।
हालांकि, यहां यह रणनीति उलटा असर (Backfire) कर सकती है — और शायद यही राहुल गांधी को अब तक समझ नहीं आया है।













