संवादता , पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर पोस्टर वॉर शुरू हो गया है।
राजधानी पटना की दीवारों पर कुछ पोस्टर लगाए गए हैं।
इनमें तेजस्वी यादव को सीधे निशाने पर लिया गया है।
पोस्टरों में उन्हें ‘जंगलराज रिटर्न्स‘ का चेहरा बताया गया है।
साथ ही, लालू-राबड़ी शासनकाल की 15 विवादित घटनाओं का ज़िक्र किया गया है।
पोस्टर यह संदेश देते हैं कि तेजस्वी की सत्ता वापसी से बिहार में फिर अराजकता लौट सकती है।
पोस्टर में किन घटनाओं का किया गया ज़िक्र?
इन पोस्टरों में जिन 15 घटनाओं का उल्लेख है, वे ज्यादातर भ्रष्टाचार और हत्या के मामलों से जुड़ी हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- चारा घोटाला
- शिल्पी-गौतम हत्याकांड
- तेज नारायण हत्याकांड
- अब्दुल कयूम हत्याकांड
- नगर निकायों में भ्रष्टाचार
- छात्रवृत्ति घोटाला
- सरकारी पदों की मनमानी भर्तियां
इन घटनाओं का हवाला देकर जनता को उस दौर की याद दिलाने की कोशिश की गई है, जिसे विपक्ष अकसर ‘जंगलराज’ कहता आया है।
राजनीतिक साजिश या जनजागरूकता?
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। जहां एनडीए समर्थक इसे “जनता को जागरूक करने वाला प्रयास” बता रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया है।
पार्टी नेताओं का कहना है कि ये पोस्टर भाजपा के इशारे पर लगाए गए हैं, ताकि तेजस्वी यादव की छवि धूमिल की जा सके।
दिलचस्प बात यह है कि इन पोस्टर्स पर किसी संगठन या व्यक्ति का नाम नहीं है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इन्हें लगाने के पीछे कौन है?
जनता की मिली-जुली राय
बिहार की आम जनता इस मामले में दो हिस्सों में बंटी हुई नजर आ रही है।
कुछ लोगों का मानना है कि तेजस्वी को अतीत की गलतियों पर जवाब देना चाहिए, जबकि कई लोग इसे पुरानी बातों को उछालने की सियासी चाल बता रहे हैं।
चुनावी माहौल की आहट?
हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव में अभी समय है, लेकिन इन पोस्टर्स से यह साफ है कि चुनावी माहौल बनने लगा है।
राजनीतिक दल पहले से ही जनमत को प्रभावित करने की कोशिशों में जुटे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं और RJD इस चुनौती से कैसे निपटती है।
मुख्य बिंदु
- पटना में तेजस्वी यादव के खिलाफ लगे पोस्टर्स ने बढ़ाई सियासी हलचल
- पोस्टर्स में लालू-राबड़ी शासनकाल की 15 विवादित घटनाओं का ज़िक्र
- RJD ने BJP पर लगाया साजिश का आरोप, पोस्टर पर किसी का नाम नहीं
- जनता की प्रतिक्रिया बंटी, कुछ ने चेतावनी माना, कुछ ने कहा सियासी स्टंट
- आगामी चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाने की शुरुआत