विपक्ष को भाजपा व नरेन्द्र मोदी के विरोध का मिला एक और मौका-रविशंकर प्रसाद

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संवाददाता.नई दिल्ली.केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है.

प्रेस वार्ता में श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के चुनाव में अपने चुनाव घोषणा पत्र में साफ-साफ कहा है कि एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट एक्ट को समाप्त करेगी और किसानों को अपनी फसलों के निर्यात और व्यापार पर सभी बंधनों से मुक्त करेगी.(Page 17 Point no 11)“Congress will repeal APMC act and make trade in agriculture produce including exports and interstate trade free from all restriction”

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। उसमें उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए।शरद पवार तो इस स्तर तक चले गए थे कि अगर राज्य मंडी ऐक्ट में सुधार नहीं करेंगे तो भारत सरकार राज्यों को वित्तीय सहायता देना बंद कर देगी।

उन्होंने भी उस रिपोर्ट में साफ़ साफ़ कहा है कि बहुत ज़रूरी है कि किसानों को मंडियों के चंगुल से मुक्त किया जाए। यही बात अकाली दल और शिव सेना ने भी कही। शिव सेना ने सदन में इसका समर्थन भी किया।आज जो काम हमने किया है, 8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार यही करना चाहती थी और 2005 में शरद पवार यही बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करेंगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे, उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे।

उस समय जब यह कहा गया कि यह राज्यों का विषय है, उनको सुधार करना है तब वो कह रहे थे- आप क्यूँ नहीं करते? और जब हम कर रहे हैं, व्यापक चर्चा करके, तब आप इसका विरोध कर रहे हैं?जो नया क़ानून बना है उसे 23 Nov 2020 को केजरीवाल सरकार ने नोटिफ़ाई करके गज़ेट करके इमप्लिमेंट कर दिया है। और दूसरी तरफ़ आप विरोध कर रहे हैं।

UPA सरकार के ​10 साल में किसान ऐक्ट को ले कर पेनल्टी लगानी की बात भी कही गयी, अगर सुधार नहीं किए गए।शरद पवार जी ने मुख्य मंत्रियों को पत्र लिखे, मनमोहन सिंह सरकार में प्लानिंग कमिशन ने विस्तृत पॉलिसी निर्देश दिया। कई कोंग्रेस शाषित राज्यों ने लागू भी किया।राहुल गांधी ने 2019 में स्पष्ट कहा कि हम मंडी ऐक्ट को रिपील करेंगे।अब आप करें तो वो किसानों का कल्याण, और हम वही जब तरीक़े से बात चीत करके करें तब आप सड़कों पर आकर विरोध करते हैं!

हम चाहते हैं देश के किसानो अपने उत्पाद के लिए नए नए अवसर मिलने चाहिए। कॉंट्रैक्ट के बारे में अगर कोई किसान सोचता है तो इस नए ऐक्ट के तहत किसानों की ज़मीन ना बिकेगी, ना लीज़ पे ली जाएगी और ना बंधक होगी।हमने किसानों के लिए e-NAM बनाया है, जिसपर किसान अपने आप को रजिस्टर कर सकता है और अपनी फसल बेच सकता है। जब हमने एक डिजिटल मंडी का अवसर दिया तो अभी तक 21 प्रदेशों में 1000 मंडियों ने रजिस्टर किया है और e-NAM पर आ चुके हैं।1 करोड़ 68 लाख किसान और 1 लाख 51 हज़ार ट्रेडर्ज़ इस पर रेजिस्टर्ड हैं साथ ही इस पोर्टल पर Rs. 1 लाख 15 हज़ार करोड़ का व्यापार हुआ है।इस क़ानून के पारित होने के बाद भी मोदी सरकार ने राबी और खरीफ के कायी फसलों के MSP में वृधि की है। तो अगर ज़रा भी सरकार का इरादा होता MSP खतम करने का तो इतनी बड़ी ख़रीद होती क्या?

उन्होंने सवाल उठाया कि 8 March 2019, पंजाब के मुख्य मंत्री ने PEPSI का एक बड़े प्लांट का उद्घाटन किया। जब आप करते है तो ठीक, जब हम इससे बड़े स्तर पर कर रहे है तो आप ही उसका विरोध करते है।

 

 

 

 

 

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