प्रमोद दत्त, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के बीच कई सीटों पर दोस्ताना संघर्ष देखने को मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में वाम एकता का प्रयास भी बिखर गया है।
स्थिति ऐसी बन गई है कि बिहार में सक्रिय वाम दलों में भाकपा (माले) की बात छो़ड़ दे तो भाकपा व माकपा और भी कमजोर पड़ते दिख रहे हैं।
महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत वाम दलों के लिए 33 सीटें छोड़ी गई हैं लेकिन कांग्रेस के साथ बातचीत उलझने के कारण वाम एकता भी उलझ गई है।
माले ने केवल बछवाड़ा सीट पर भाकपा को समर्थन देने का फैसला किया है, जबकि अन्य कई सीटों पर वे महागठबंधन के दूसरे दल के साथ है। वास्तव में, माले ने स्पष्ट कर दिया है कि वे भाकपा को अन्य किसी सीट पर समर्थन नहीं देगें।
इधर, कांग्रेस ने जब बछवाड़ा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा, तो भाकपा ने राजापाकड़, बिहार शरीफ और करगहर में कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए।
बछवाड़ा सीट को लेकर कांग्रेस और भाकपा, दोनों ही इसे अपना जनाधार वाला क्षेत्र मानती हैं।
दूसरी ओर, माले ने स्पष्ट किया कि वे बछवाड़ा में भाकपा के साथ हैं, लेकिन राजापाकड़ और बिहार शरीफ में कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं।
उधर, माकपा ने भी घोषणा की है कि राजापाकड़ कांग्रेस की सीट है, इसलिए वह भाकपा के बजाय कांग्रेस को समर्थन दे रही है। हालांकि, बछवाड़ा, बिहार शरीफ और करगहर में माकपा भाकपा के साथ खड़ी है।
फिर भी, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय का दावा है कि बिहार चुनाव में वाम दलों के बीच पूर्ण सहमति है। साथ ही उन्होंने अपील की है कि माकपा और माले भाकपा के सभी उम्मीदवारों को समर्थन देने पर पुनर्विचार करें।
















