बिहार क्रिकेट संघ को अवैतनिक सचिव को बर्खास्त कहना कहाँ तक सही-मोहन कुमार

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संवाददाता.पटना.अरवल जिला क्रिकेट संघ सचिव मोहन कुमार ने बिहार क्रिकेट संघ के अवैतनिक सचिव संजय कुमार के बर्खास्तगी पर प्रकाश डालते हुए कई सवाल किए हैं और बीसीए में हो रहे असंवैधानिक कार्यों पर विशेष टिप्पणी करते हुए सत्य को प्रस्तुत किया है।

बिहार क्रिकेट संघ में संविधान के अनुसार कार्य होना अब सपने जैसा लगने लगा है। बीसीए की संविधान के किसी भी नियम में कहीं भी नहीं है कि आम सभा को किसी भी पदाधिकारी, खिलाड़ी, कर्मचारी या किसी भी मैच अधिकारी आदि पर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सके | ऐसा इसलिए है कि आम सभा बिहार क्रिकेट संघ का सर्वोच्य समिति है जिसको अपीलये शक्ति प्रदत है | बिहार क्रिकेट संघ की सभी समितियाँ, लोकपाल, ethics officer, पदाधिकारियों, कार्यकारणी वगेरह के द्वारा पारित किसी भी आदेश या निर्णय को बदल/ ख़ारिज/ निष्क्रिय कर सकती है | कानून का सिद्धान्त है कि अपीलये प्राधिकार/ समिति अपने अधीनस्थ किसी भी अधिकारी/पदाधिकारी/समिति आदि को प्रदत शक्ति पर खुद निर्णय नहीं ले सकते हैं |

इतना ही नहीं, जिस आम सभा दिनांक 26.06.2020 में संजय कुमार जी को सचिव के पद से पदच्युत करने कि बात की जा रही है तो प्रश्न उठता है कि उक्त आम सभा की बैठक संविधान के किस नियम में बुलवाई गयी थी, क्योकि बिहार क्रिकेट संघ में सिर्फ वार्षिक एवं विशेष आम सभा बुलाने का अधिकार अध्यक्ष जी को है | सुसंगत नियम से बुलवाई गयी बैठक ही न्यायसंगत हो सकती है और बिना किसी नियम के बुलवाई गयी बैठक में लिए गये निर्णय न्यायसंगत कैसे हो सकता है|

एक और बात, संविधान का नियम 11 (4) कहता है की वार्षिक एवं विशेष आम सभा की बैठक की कार्यवृति (minutes of the meeting) दो महिना के अन्दर सभी सदस्यों में परिचालित कर के कार्यवाही रजिस्टर में प्रविष्ट कर देना होगा | इसका मतलब साफ़ है कि यदि वार्षिक या विशेष आम सभा की बैठक की कार्यवृति को दो महीने के अन्दर कार्यवाही रजिस्टर में प्रविष्ट नहीं करते हैं तो दो महीने के बाद किस नियम से प्रविष्टी की जा सकेगी और यदि किसी नियम से प्रविष्टी नहीं की जा सकती है है तो उक्त बैठक में लिये गये निर्णय को अमल में कैसे लाया जा सकता है |

 

 

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