21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में शिक्षा का भूमंडलीकरण- राज्यपाल

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संवाददाता.पटना. ‘‘21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में शिक्षा का भूमंडलीकरण हो रहा है। ऑनलाईन नामांकन, ऑनलाईन परीक्षा, ऑनलाईन परीक्षा-परिणाम और एमओओसी की प्रतिस्पर्धा में, बिहार के विश्वविद्यालयों की परीक्षा-व्यवस्था को सामयिक परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है।’’ उक्त विचार, महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति राम नाथ कोविन्द ने विस्कोमान भवन स्थित नालंदा खुला विश्वविद्यालय के सभागार में ‘‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड के औचित्य’’ विषय पर आज आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।

राज्यपाल ने कहा कि वस्तुतः परीक्षा बोर्ड के गठन के साथ ही, सभी विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम, सभी विश्वविद्यालयों में समय पर पाठ्यक्रमों के अध्यापन को पूरा करना तथा सभी विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा-कार्यक्रम और परीक्षाफल की तिथि का निर्धारण एवं समय पर सभी छात्रों में अंक-पत्र और डिग्री के वितरण – जैसे कार्यों की प्रक्रियाओं पर भी गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कार्यशाला में व्यापक विचार-विमर्श के पश्चात् कृत अनुशंसा राजभवन और शिक्षा विभाग के परीक्षा-सुधार-अभियान को गति प्रदान करने की दिशा में ‘मील का पत्थर’ साबित होगी।

उद्घाटन-सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की इस वर्ष अबतक दो महत्वपूर्ण बैठकें राजभवन में सम्पन्न हो चुकी हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया है कि विश्वविद्यालयों में च्वायस बेस क्रेडिट सिस्टम को लागू कर बिहार के छात्रों को भी विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाय। लेकिन, सिर्फ उच्च शिक्षा-व्यवस्था की शिक्षण-प्रक्रिया और शिक्षण-विधि में परिवर्तन लाने से विश्वस्तरीय शिक्षा की नींव नहीं रखी जा सकती है। इसके लिए परीक्षा-व्यवस्था को भी पारदर्शी, समयबद्ध, विश्वसनीय और पूर्णतः कदाचार मुक्त बनाने की जरूरत है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री डा0 अशोक चैधरी ने कहा कि नियमित एकेडमिक सेशन, समय पर परीक्षा-आयोजन, स्वच्छ एवं गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन, समय पर परीक्षा-फल प्रकाशन, परीक्षा-कैलेण्डर, परीक्षा-मैनुअल आदि की तैयारी जैसे मुद्दे आज ‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड’ के औचित्य पर हो रहे विमर्श के दौरान काफी महत्वपूर्ण हो गये हैं।

उद्घाटन सत्र में बी0आर0ए0 बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति ने ‘उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड’ के औचित्य पर अपने पावर-प्रेजेन्टेशन के जरिए इसके विविध पहलुओं और आयामों की व्यापक चर्चा की।कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल श्री कोविन्द ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय से संबंधित एक ‘मोबाइल एप’ का उद्घाटन किया तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘विद्यापति का काव्य-शिल्प’’ (लेखिका – डा0 मिथिलेश कुमारी मिश्र) का विमोचन भी किया।

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