हाट सीट राघोपुर: आसान नहीं तेजस्वी की राह

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आलोक नंदन शर्मा, पटना।

राघोपुर विधानसभा क्षेत्र यादव बहुल इलाका है। यहां किसी दूसरी जाति के उम्मीदवार के लिए जीतना मुश्किल माना जाता है। टिकट बंटवारे की प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रशांत किशोर ने अपना चुनावी अभियान राघोपुर से शुरू किया है।

इससे यह संकेत भी मिल रहा है कि वे यहीं से उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

प्रशांत किशोर जानते हैं कि अगर वे राघोपुर से चुनाव लड़ेंगे तो हार का खतरा बड़ा है। इसलिए वे यहां आकर सीधे जवाब देने से बच रहे हैं।

उनका कहना है कि वे चुनाव लड़ें या न लड़ें, लेकिन उनकी मौजूदगी से क्षेत्र के लोगों की पूछ बढ़ जाएगी। स्थानीय लोग मजाक में कहते हैं कि अब तो लालू-राबड़ी निवास से भी उन्हें फोन आने लगेंगे।

राघोपुर में असली मुकाबला राजद और भाजपा के बीच माना जा रहा है। प्रशांत किशोर को यहां के अधिकतर लोग पहचानते भी नहीं हैं। जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, वही उन्हें और जन सुराज पार्टी को जानते हैं।

ग्रामीण इलाकों में मोबाइल या सोशल मीडिया की पहुंच सीमित है। इसलिए सोशल मीडिया पर चल रही “क्रांति” राघोपुर तक नहीं पहुंच पाई है। यूट्यूबर और इन्फ्लुएंसर के सारे प्रयास यहां बेअसर साबित हो रहे हैं।

तेजस्वी यादव का पलड़ा इस सीट पर भारी है। राघोपुर की जनता उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रही है। वे किसी प्रतिनिधि को नहीं, बल्कि बिहार के अगले सीएम को वोट देना चाहती है। इस लिहाज से तेजस्वी अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे हैं।

हालांकि अभी तक किसी भी दल ने अपने उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। भाजपा से सतीश कुमार यादव संभावित उम्मीदवार हैं। उन्होंने पहले भी लालू परिवार के खिलाफ चुनाव लड़ा है।

तेजस्वी यादव की एंट्री राघोपुर में 2015 में हुई थी। लालू यादव ने जनता से उनका परिचय कराते हुए कहा था — “हमर छोटका बेटा हई, आशीर्वाद दीजिए।” जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और जीत दिलाई।

2015 और 2020 दोनों चुनावों में तेजस्वी ने भाजपा के सतीश कुमार यादव को हराया।

2015 में: तेजस्वी को 91,236 वोट (49.15%) मिले, जबकि सतीश कुमार यादव को 68,503 वोट (36.9%) मिले।

2020 में: तेजस्वी को 97,404 वोट (48.74%) और सतीश कुमार यादव को 59,230 वोट (29.64%) मिले।

लोजपा के राकेश रोशन ने 24,947 वोट पाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

1995 और 2000 में लालू यादव इस सीट से जीते थे। 2010 में राबड़ी देवी यहां से हारी थीं। 2015 से यह सीट फिर से लालू परिवार के पास है।

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