प्रमोद दत्त, पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव के मैदान में इस बार एक दिलचस्प नजारा देखने को मिल रहा है। कई राजनीतिक परिवारों के सदस्य अलग-अलग पार्टियों से अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं।
आनंद मोहन परिवार में दल-बदल
कभी बिहार पीपुल्स पार्टी चलाने वाले नेता आनंद मोहन के परिवार में भी राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
उनकी पत्नी लवली आनंद और बड़े बेटे चेतन आनंद ने राजद छोड़कर जदयू की राजनीति का रास्ता चुना है।
सूत्रों के अनुसार, चेतन आनंद एक बार फिर शिवहर सीट से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
वहीं, आनंद मोहन का छोटा बेटा नवीनगर सीट से भाजपा टिकट का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।
बांका से चाणक्य यादव का एंट्री
बांका के जदयू सांसद गिरधारी यादव के पुत्र चाणक्य यादव ने इस बार राजद का दामन थाम लिया है।
वह बेलहर या बांका सीट से राजद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
वीणा देवी परिवार की नई तैयारी
जदयू के विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी वीणा देवी वर्तमान में वैशाली से लोजपा सांसद हैं।
अब चर्चा है कि उनकी बेटी मुजफ्फरपुर के गायघाट सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।
कर्पूरी ठाकुर परिवार से भी नई पीढ़ी मैदान में
जननायक भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर इस समय जदयू सांसद और केन्द्रीय मंत्री हैं।
उनके छोटे भाई डॉ. वीरेंद्र कुमार की बेटी डॉ. जागृति ठाकुर ने जनसुराज पार्टी से समस्तीपुर के मोरवा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है।
तरारी और ब्रह्मपुर में पारिवारिक समीकरण
तरारी से भाजपा विधायक विशाल प्रशांत के चाचा हुलास पांडेय का लोजपा टिकट पर ब्रह्मपुर से उम्मीदवार बनना लगभग तय माना जा रहा है।
तिवारी बंधुओं की अलग राह
लोजपा प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी का गोविंदगंज सीट से लोजपा टिकट पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
साथ ही, उनके भाई राजन तिवारी किसी अन्य दल से जिले की दूसरी सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
लालू परिवार में भी फूट के संकेत
अब बात बिहार के सबसे वीआईपी राजनीतिक परिवार — लालू प्रसाद यादव परिवार की।
दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के इस परिवार में भी राजनीतिक मतभेद उभर कर सामने आए हैं।
मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार तेजस्वी यादव और राजद सांसद मीसा भारती से नाराज़ उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली है।
वे खुद महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। साथ ही, अपने दल से कई अन्य उम्मीदवार उतारकर राजद के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।