प्रमोद दत्त.
पटना। वर्षों बाद यह मौका आया है जब गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास नहीं है। नीतीश कुमार ने जब अपने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया तो भाजपा कोटे के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को यह विभाग सौंपा है।अब तक नीतीश कुमार अपने पास ही यह विभाग रखते थे लेकिन इस बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के दबाव में उन्हें झुकना पड़ा।
आम तौर पर यह मंत्रालय मुख्यमंत्री अपने पास ही रखते रहे हैं।55 साल पहले जब 1967 में गैर-कांग्रेसी गठबंधन की सरकार बनी थी तब मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद मुख्यमंत्री बने थे और पहली बार दूसरे नंबर के मंत्री रामानंद तिवारी को गृह विभाग दिया गया था। फिर 1970 में जब कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में सरकार बनी तो रामानंद तिवारी दूसरी बार गृह मंत्री बने थे।
लगभग 55 वर्षों बाद मुख्यमंत्री के पास गृहमंत्रालय नहीं है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह विभाग सौंपा गया है। विभाग बंटवारे को लेकर जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा हुई तो कहते हैं कि उनकी पहली शर्त यही थी।
किसी भी सरकार में यह अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है। क्योंकि कानून व्यवस्था पर नियंत्रण, इंटेलिजेंस ब्यूरो पर नियंत्रण, डीजीपी से लेकर सिपाही तक की जिम्मेदारी, वीआईपी सुरक्षा,जेल प्रशासन, आइपीएस अधिकारियों पर नियंत्रण आदि सीधे गृहमंत्री के अधीन हो जाता है।
केन्द्र में अमित शाह के पास गृहमंत्रालय हैं। चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान अमित शाह घुसपैठियों को बाहर करने की चर्चा बार बार कर चुके हैं।
जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तब के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के पास नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में संचालित कई मदरसों में देश विरोधी गतिविधियों के संचालन की सूचना पहुंचाई गई थी।
लेकिन गठबंधन की कमजोर सरकार और राज्य में लालू प्रसाद द्वारा संरक्षित राबड़ी सरकार होने के कारण बड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकी। अमित शाह इन दोनों फ्रंट पर कार्रवाई की तैयारी में है।
इसलिए नीतीश कुमार पर दबाव देकर गृहमंत्रालय अपनी पार्टी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को दिलवाया गया है।
सम्राट चौधरी ने भी अपनी छवि हिन्दू वादी की बना रखी है। अमित शाह ऐसे ही नेता की तलाश भी कर रहे थे। यही कारण है कि चुनाव के दौरान तारापुर की सभा में अमित शाह ने साफ साफ कहा कि आप इन्हें जीत दिलाएंगे तो भाजपा इनपर बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी।
सम्राट चौधरी को भी शीर्ष नेतृत्व द्वारा इशारा कर दिया गया है कि उन्हें क्या क्या करना है। सम्राट चौधरी भी खुद को योगी के समकक्ष, नहीं तो उनके जैसा बनना जरुर चाहेंगे।













