टर्बुलेंस ने हर बीट में वाइब के साथ मचाई धमाल

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रंजन सिन्हा, पटना — कहा जाता है कि संगीत में आत्मा को झकझोर देने की ताकत होती है। अगर इस शक्ति का कोई चेहरा हो सकता है, तो वह है टर्बुलेंस — जो पिछले दो दशकों से अपनी ऊर्जा, ताल और रचनात्मकता से भारतीय और अंतरराष्ट्रीय म्यूजिक सीन में दर्शकों को झुमा रहे हैं।

2006 में शुरू हुई एक संगीतमय यात्रा

साल 2006 में टर्बुलेंस ने अपने संगीत सफर की शुरुआत की। उनका असली नाम बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन उनका संगीत आज हर क्लब, फेस्टिवल और पार्टी की धड़कन बन चुका है।

एक साधारण महाराष्ट्रीयन परिवार से आने वाले टर्बुलेंस ने अपने जुनून और मेहनत के दम पर सफलता की ऊँचाइयाँ छू लीं। शुरुआती दौर संघर्षों से भरा था, परंतु परिवार के अटूट सहयोग और संगीत के प्रति समर्पण ने हर मुश्किल को अवसर में बदल दिया।

सिर्फ DJ नहीं, एक लाइव परफॉर्मर भी

टर्बुलेंस सिर्फ एक DJ नहीं हैं, बल्कि वे एक लाइव पर्कशनिस्ट भी हैं। वे मंच पर डर्बुका और डीजेम्बे जैसे पर्कशन इंस्ट्रूमेंट्स बजाते हुए मिक्सिंग करते हैं। इसी वजह से उनकी हर प्रस्तुति केवल संगीत नहीं, बल्कि एक अनोखा अनुभव होती है।

उनका सिग्नेचर फ्यूजन स्टाइल — हाउस म्यूजिक, बॉलीवुड बीट्स और लाइव पर्कशन का संगम — हर बार दर्शकों को एक नए संगीतमय सफर पर ले जाता है।

1,500 से अधिक लाइव शो का रिकॉर्ड

अपने 19 साल लंबे करियर में टर्बुलेंस ने भारत और विदेशों में 1,500 से अधिक लाइव शो किए हैं। चाहे दर्शक सौ हों या दस हज़ार, उनकी हर परफॉर्मेंस एक फुल-स्केल म्यूजिक फेस्टिवल में बदल जाती है।

दर्शकों के साथ उनका जुड़ाव, मंच पर उनकी उपस्थिति और ताल पर उनकी पकड़ उन्हें बाकी DJs से अलग बनाती है।

भारत से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक

टर्बुलेंस ने भारत के प्रमुख शहरों — मुंबई, दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और गोवा — से लेकर दुबई, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर परफॉर्म किया है।

उनके ऑफिशियल रिमिक्स, जो क्लासिक और आधुनिक बॉलीवुड गानों को नया रूप देते हैं, सभी प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हैं और युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं।

जुनून जो प्रेरणा बन गया

आज टर्बुलेंस सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। उनका सफर यह साबित करता है कि जुनून, निरंतरता और रचनात्मकता के बल पर कोई भी सपना सच किया जा सकता है।

उनकी बीट्स सिर्फ डांस फ्लोर को नहीं थिरकातीं, बल्कि दिलों को भी छू जाती हैं — क्योंकि असली संगीत वही है, जो दिल से निकले और दिल तक पहुँचे।

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