प्रमोद दत्त, पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 14 पूर्व सांसद विभिन्न दलों के टिकट पर मैदान में उतरे हैं। कुछ पूर्व सांसदों को शायद फिर से “माननीय” बनने की इच्छा हो सकती है। लेकिन सच यह भी है कि कड़े मुकाबले में फंसी पार्टियों की मजबूरी थी।
जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अपने अनुभवी पूर्व सांसदों को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा।
जदयू ने सबसे अधिक पूर्व सांसदों पर लगाया दांव
सबसे अधिक पांच पूर्व सांसदों को जदयू ने टिकट दिया है।
- जहानाबाद के पूर्व सांसद चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को जहानाबाद से,
- भागलपुर के पूर्व सांसद बुलो मंडल को गोपालपुर से,
- काराकाट के पूर्व सांसद महाबली सिंह को काराकाट से,
- कटिहार के पूर्व सांसद दुलारचंद गोस्वामी को कदवा से,
- और उजियारपुर की पूर्व सांसद अश्वमेघ देवी को समस्तीपुर से उम्मीदवार बनाया गया है।
इससे साफ है कि जदयू ने अनुभव और पहचान दोनों को प्राथमिकता दी है।
राजद ने चार पूर्व सांसदों को दिया मौका
इसी तरह राजद ने भी चार पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा है।
- झाझा से जयप्रकाश नारायण यादव,
- मोकामा से वीणा देवी,
- बिहारीगंज से रेणु कुशवाहा,
- और धमदाहा से संतोष कुशवाहा उम्मीदवार बनाए गए हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि सिर्फ जयप्रकाश नारायण यादव ही राजद के सांसद रहे हैं। जबकि वीणा देवी लोजपा, और रेणु व संतोष कुशवाहा जदयू से सांसद रह चुके हैं।
इससे पता चलता है कि राजद ने राजनीतिक समीकरण और जातीय संतुलन दोनों को ध्यान में रखा है।
भाजपा और जनसुराज भी पीछे नहीं
भाजपा ने भी दो पूर्व सांसदों को टिकट दिया है।
- पाटलिपुत्र के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव को दानापुर से,
- और सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सुनील कुमार पिंटू को सीतामढ़ी से उम्मीदवार बनाया गया है।
वहीं, पहली बार चुनाव लड़ रही जनसुराज पार्टी ने भी दो पूर्व सांसदों को मैदान में उतारा है।
- अररिया से सरफराज आलम,
- और गया टाउन से धीरेन्द्र अग्रवाल, जो झारखंड के चतरा से सांसद रह चुके हैं।
इसके अलावा, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुंगेर से मोनाजिर हसन को उम्मीदवार बनाया है।
जातीय समीकरण और दिलचस्प मुकाबला
स्पष्ट है कि उपरोक्त सभी दलों ने जातीय समीकरण और विरोधी उम्मीदवारों की ताकत को ध्यान में रखते हुए पूर्व सांसदों को टिकट दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन 14 में से कौन-कौन बाजी मारता है।
हालांकि, इतना तय है कि पूर्व सांसदों के मैदान में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है।
परिणाम 14 नवंबर को सामने आएंगे — और तभी पता चलेगा कि किसके अनुभव पर जनता ने मुहर लगाई।