प्रमोद दत्त, पटना।
बिहार में चुनाव के दौरान हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है। बीच के वर्षों में यह प्रवृत्ति कुछ थमी थी। लेकिन मोकामा की हालिया हिंसक घटना ने आशंका पैदा की है कि क्या बिहार फिर उसी पुराने दौर में लौट रहा है?
बाहुबलियों की सक्रियता और खतरे के संकेत
वर्तमान विधानसभा चुनाव को लेकर यह आशंका इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि राज्य के कई बाहुबली उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं।
कोई स्वयं चुनाव लड़ रहा है, तो किसी ने अपने रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाया है।
मोकामा सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष
मोकामा विधानसभा सीट पर दो चर्चित बाहुबली आमने-सामने हैं —
- अनंत सिंह (जदयू) और
- सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी (राजद, पूर्व सांसद)।
इसी क्षेत्र के तीसरे बाहुबली दुलारचंद यादव की दो दिन पहले हत्या कर दी गई।
दुलारचंद यादव भले ही राजद समर्थक थे, लेकिन दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के सवर्ण (भूमिहार) होने के कारण वे जनसुराज के पिछड़ी जाति (धानुक) के उम्मीदवार का समर्थन कर रहे थे।
जातीय समीकरण और हत्या का प्रभाव
सामान्यतः धानुक, कुर्मी–कुशवाहा समुदाय का वोट जदयू के खाते में जाता है।
दुलारचंद यादव इन समुदायों और यादव मतदाताओं को जोड़कर दोनों सवर्ण उम्मीदवारों को राजनीतिक सबक सिखाना चाहते थे।
उनकी हत्या के बाद जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी हुई है।
अब क्षेत्र में सूरजभान सिंह, अनंत सिंह और दुलारचंद यादव के समर्थकों के बीच तनाव चरम पर है।
यही कारण है कि पूरा बिहार अब मोकामा सीट पर निगाह लगाए हुए है।
बाहुबली उम्मीदवारों पर केंद्रित बिहार की नजर
मोकामा की घटना के बाद लोगों की नजर अब उन सीटों पर भी टिक गई है, जहां से बाहुबली या उनके रिश्तेदार चुनाव मैदान में हैं।
बिहार में जो प्रमुख बाहुबली खुद चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें शामिल हैं —
- अनंत सिंह (जदयू) – मोकामा से
- रीतलाल यादव (राजद) – दानापुर से
- धूमल सिंह (जदयू) – एकमा से
- बोगो सिंह (राजद) – मटिहानी से
- हुलास पांडेय (लोजपा) – ब्रह्मपुर से
बाहुबलियों के रिश्तेदार भी चुनाव मैदान में
इसके अलावा लगभग दस विधानसभा क्षेत्रों में बाहुबलियों के परिजन उम्मीदवार हैं। उदाहरणस्वरूप —
- चेतन आनंद (जदयू) – नवीनगर से, आनंद मोहन के पुत्र
- शिवानी शुक्ला (राजद) – लालगंज से, मुन्ना शुक्ला की बेटी
- वीणा देवी (राजद) – मोकामा से, सूरजभान सिंह की पत्नी
- विशाल प्रशांत (जदयू) – तरारी से, सुनील पांडेय के बेटे
- विभा देवी (जदयू) – नवादा से, राजबल्लभ यादव की पत्नी
- ओसामा (राजद) – रघुनाथपुर से, शहाबुद्दीन के पुत्र
- अनीता देवी (राजद) – वारिसलीगंज से, अशोक महतो की पत्नी
- अरुणा देवी (भाजपा) – अखिलेश सिंह की पत्नी
- केदार सिंह (भाजपा) – बनियापुर से, प्रभुनाथ सिंह के भाई
- रणधीर सिंह (जदयू) – मांझी से, प्रभुनाथ सिंह के पुत्र
सभी दलों की समान भूमिका
ध्यान देने योग्य है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बाहुबलियों या उनके परिजनों को टिकट दिया है।
अतीत में बाहुबली अपने पसंदीदा उम्मीदवारों की मदद के लिए हिंसा का सहारा लेने से नहीं हिचकते थे।
अब मामला और गंभीर है — क्योंकि यह उनके स्वयं या उनके परिवार के राजनीतिक अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है।
















