पर्यावरण के लिए जरूरी है सिंथेटिक बायोलॉजी

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Synthetic biology

ईशान दत्त.पटना.अमेरिका के एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे पृथ्वी पर सभी जानवरों और पौधों की प्रजातियों में से एक-तिहाई वर्ष 2070 तक विलुप्त हो सकते हैं।इसे बचाने और संरक्षा करने के लिये सिंथेटिक बायोलॉजी को संभावित रास्ता माना जाता हैं।
‘सिंथेटिक बायोलॉजी’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार ‘बारबरा होबोमिन’ ने वर्ष 1980 में बैक्टीरिया का वर्णन करने के लिये किया था, जिन्हें पुनः संयोजक डीएनए तकनीक का उपयोग करके आनुवंशिक रूप से निर्मित किया गया था। सिंथेटिक बायोलॉजी, अप्राकृतिक जीवों या कार्बनिक अणुओं के निर्माण के लिये आनुवंशिक अनुक्रमण, संपादन और संशोधन प्रक्रिया का उपयोग करने संबंधी विज्ञान को संदर्भित करता है जो जीवित प्रणालियों में कार्य कर सकते हैं।सिंथेटिक बायोलॉजी, वैज्ञानिकों को डीएनए के नए अनुक्रमों को डिज़ाइन और निर्माण  करने में सक्षम बनाती है।
सिंथेटिक बायोलॉजी के उपयोग
सिंथेटिक बायोलॉजी के कई उपयोग देखने को मिलते हैं जैसे की  यह तकनीक जैव उर्जा, दवाओं और भोजन के सतत् उत्पादन के लिये उपयोग में सहायक हो सकती है।सिंथेटिक बायोलॉजी का बेहतर उपयोग  औद्योगिक उत्सर्जन से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिये किया जा सकता है।
इसके अलावा इसमें कैद किये गैस को फिर से सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके ईंधन में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। इस तकनीक में लुप्त होने वाले प्रजातियों की रक्षा करने से लेकर वन्यजीव उत्पादों के सिंथेटिक विकल्प प्रदान करने तक के लाभ शामिल हैं।
इस तकनीक से हम  संक्रामक बीमारी से बचाव, दवाओं के विकास और साथ ही साथ समाज में स्थिरता स्थापित कर सकते हैं ।यह वैज्ञानिकों को खोज में मदद कर सकता है और तीव्र एवं कुशल तरीके से उन्हें नवीनीकरण की ओर ले जाता है।
सिंथेटिक बायोलॉजी से जुड़ी चिंताएँ
सिंथेटिक बायोलॉजी से संबंधित कई चिंताएँ भी देखने को मिल जाता हैं,जैसे कि आर्थिक चिंताएँ और पर्यावरणीय चिंताएँ।आर्थिक की बात करें तो यह जीवविज्ञान अर्थव्यवस्था में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जिससे जैव प्रौद्योगिकी आधारित अर्थव्यवस्थाओं में अनिष्ट परिवर्तन देखने को मिल सकता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं कम आय वाले उष्णकटिबंधीय देशों को भी प्रभावित करेगा।
प्राकृतिक उत्पाद आमतौर पर कम आय वाले देशों में उगाए जाते हैं, सिंथेटिक जीव विज्ञान की प्रगति के क्रम में इसके विस्थापित होने की आशंका मौजूद है। पर्यावरणीय चिंताएँ जैसे की  जब एक नई प्रजाति का निर्माण किया जाता है या जब एक प्रजाति को तीव्रता से संशोधित किया जाता है, तो प्रजातियों की गतिविधि और अन्य जीवों के साथ उनका सह-अस्तित्व अप्रत्याशित होता है।
फिर भी यह अग्रिम तकनीक  पर्यावरण के लिये सबसे गंभीर खतरों के समाधान का एक हिस्सा है, जिसमें रासायनिक और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना तथा पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को रोकना शामिल है, लेकिन हमें एक नागरिक के रूप में भी पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने की आवश्यकता है।

 

 

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